छठ पूजा Chhath Puja in Hindi
आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार,
छठ पूजा, छठ पर्व या षष्ठी पूजा के नाम से भी जाना जाता है. छठ पर्व का उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है.
छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला एक हिंदू पर्व है.
दिवाली के उपरांत जो षष्ठी तिथि आती है, उसे ही छठ पूजा के नाम से जाना जाता है.
भगवान सूर्य को समर्पित यह लोक आस्था का महापर्व है.
सूर्य की पूजा का अनुपम महापर्व अधिकतर पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और नेपाल में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है.
यह एकमेव पर्व ऐसा है जो वैदिक काल से चला आ रहा है.
यह पर्व मुख्य रूप से ऋग्वेद में लिखे हुए सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार में मनाया जाता है.
सूर्य देव की उपासना छठ पूजन में होती है इसीलिए इस पर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है.
छठ पूजा कब है When is Chhath Puja in Hindi
छठ पूजा का महापर्व 4 दिनों तक चलता है.
दिवाली के बाद के चतुर्थी नहाय खाय नाम से पहचानी जाती है. इस दिन इस महापर्व की शुरुआत होती है.
4 दिन बाद सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर इस महापर्व की समाप्ति होती है.
इस साल इस महापर्व की:
- शुरुआत – 17 नवंबर 2023 , शुक्रवार से हो रही है. chhath puja
- समाप्ति – 20 नवंबर 2023 सोमवार के दिन हो रही है. chhath puja
छठ पूजा क्यों की जाती है Why is Chhath Puja celebrated in Hindi
मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी माता का ही छठ माता के रूप मैं और भगवान सूर्यनारायण का पूजन छठ पूजा में किया जाता है.
छठ पूजा करने से सुख, सौभाग्य एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है. यह व्रत मनोकामना पूरा करने वाला व्रत है.
छठी देवी की पूजा से संतान को स्वास्थ्य, आरोग्य, सफलता एवं दीर्घायु होने का आशीर्वाद मिलता है.
बच्चे के जन्म के बाद भी छठे दिन छठी माता की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है, छठी माता ही बच्चे का भाग्य लिखती है.
भगवान सूर्य देव की शक्तियों का मुख्य स्त्रोत उनकी पत्नी उषा और प्रत्यूषा होती है. छठ पूजा में दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना होती है.
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने वाली मूली, गाजर, हल्दी, अदरक आदि सब्जियों के साथ सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है.
सूर्य को अर्घ्य नदी या समंदर किनारे पर कमर तक पानी में खड़े होकर दिया जाता है.
पर्व शुरू होने से पहले समाज नदी/ समंदर की पूरी तरह सफाई की जाती है.
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्यदेव से विटामिन डी उत्पन्न होता है.
इस पूजा के विधि के दौरान हमारे शरीर को प्रचुर मात्रा में विटामिन डी मिलता है.
पूजा के दौरान अखंड गाय के घी का दीपक प्रज्वलित किया जाता है.
- दिन रात दीपक के प्रज्वलन से वातावरण में शुद्धता आती है.
- वातावरण में रहने वाले जीवाणुओं का नाश होता है.
छठ पूजा की पौराणिक कथाएं Chhath Puja Pauranik Katha in Hindi
छठ पूजा वैदिक काल से प्रचलित है. इस बात का कुषाण वंश के सिक्कों पर सूर्य उपासना की तस्वीरें होना साक्ष्य है. छठ पूजा का स्त्रोत्र महाभारत व रामायण के ग्रंथों में भी पाया जाता है.
रामायण में Story According to Ramayan in Hindi
मान्यता के अनुसार, दशहरे पर रावण वध और लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान श्री राम दिवाली के पर्व पर अयोध्या लौटे.
राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान श्री राम और माता सीता ने उपवास किया था.
भगवान सूर्य देव की आराधना की थी.
सरयू नदी के तट पर भगवान सूर्यनारायण को अर्ध्य दिया था.
अतः सप्तमी को सूर्योदय के समय पुनः अनुष्ठान कर, भगवान सूर्यनारायण को अर्ध्य देकर अपना राजपाट संभाला था.
महाभारत में Story According To Mahabharat in Hindi
छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी. सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा करने की शुरुआत की थी.
कर्ण सूर्य भगवान के पुत्र एवं भक्त थे.
कर्ण प्रतिदिन घंटों पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्ध्य दिया करते थे.
कुछ कथाओं में द्रोपदी द्वारा सूर्य की पूजा करने का भी उल्लेख है.
पांडव की पत्नी द्रोपदी अपने परिवार के उत्तम स्वास्थ्य की और लंबी उम्र के लिए सूर्य देव की पूजा नियमित रूप से किया करती थी.
पुराणों से Story According to Puran in Hindi
ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी छठ पर्व का उल्लेख पाया जाता है.
इस कथा के अनुसार,
तीनों लोकों के शासक राजा प्रियव्रत थे. वह स्वयंभू मनु के पुत्र थे.
मात्र राजा प्रियव्रत की कोई संतान नहीं थी. इस वजह से वह प्रायः दुखी रहा करते थे.
महर्षि कश्यप की सलाह से राजा ने यज्ञ किया. यज्ञ के बाद महारानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया. दुर्भाग्यवश शिशु मरा हुआ पैदा हुआ.
श्मशान में मृत शिशु को सीने से लगाकर राजा प्रियव्रत आंसुओं की धारा बहाने लगे.
उसी समय आकाश से एक विमान उतर कर आया. उस विमान में माता षष्ठी विराजमान थी.
राजा ने शिशु के मृत शरीर को जमीन पर रखा. आदर सहित माता की पूजा एवं स्तुति की.
तब माता राजा से बोली, “मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी देवी हूं. मैं विश्व के सभी बालकों की रक्षा करती हूं. जिनकी अपनी कोई संतान नहीं होती उन्हें संतान प्राप्ति का वर देती हूं.”
इसके पश्चात माता ने राजा के मृत शिशु को जीवित कर दिया. इस बालक का नाम सुब्रत रख दिया.
राजा प्रसन्न होकर बालक को लेकर राज में लौट आया.
इसके बाद प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के अवसर पर भगवती षष्ठी देवी की पूजा करने एलान राजा ने किया.
और इस व्रत का और संतान प्राप्ति का महत्व राजा ने सभी को समझाया.
छठ पूजा का वैज्ञानिक रूप Scientific Reason of Chhath Puja In Hindi
जब कमर तक पानी मैं खड़े होकर सूर्य की ओर देखते हैं तो शरीर में टॉक्सिफिकेशन होता है, ऐसा वैज्ञानिकों का मानना है.
सूर्य में 16 कलाएं होती है. तिरछे लोटे से जल की धारा सूर्य की किरणों में परिवर्तित होकर जितनी बार आंखों तक पहुंचती है.
उससे स्नायु तंत्र जो शरीर को कंट्रोल करते हैं सक्रिय हो जाते हैं.
दिमाग की कार्य क्षमता बढ़ती है. पूजा करने की इस प्रक्रिया से चर्म रोग भी ठीक हो जाते हैं.
छठ पूजा प्रमुख तिथियां Chhath Puja Important Tithi in Hindi
- 17 नवंबर 2023 – शुक्रवार – नहाए खाए chhath puja
- 18 नवंबर 2023 – शनिवार – खरना chhath puja
- 19 नवंबर 2023 – रविवार – डूबते सूर्य का अर्घ्य chhath puja
- 20 नवंबर 2023- सोमवार – उगते सूर्य को अर्घ्य chhath puja
इस त्यौहार का अनुष्ठान बहुत ही कठोर है. इस अनुष्ठान का संकल्प 4 दिनों के लिए लिया जाता है.
इसमें निर्जला व्रत, पवित्र स्नान, उपवास, लंबे समय तक पानी में खड़ा रहना, प्रार्थना और सूर्य को अर्ध्य देना आदि शामिल है.
जो संकल्प लेता है उसे उपासक कहते हैं. अधिकतर घर के प्रमुख महिलाएं उपासक होती है.
नहाए- खाए–
( चतुर्थी तिथि) घर की साफ सफाई का ध्यान रखा जाता है. सुबह उठकर नहाते है . घर की साफसफाई की जाती है. शाकाहारी भोजन करते है. भोजन में लौकी की सब्जी घी की रोटी खाकर उपवास की शुरूवात करते है.
खरना –
( पंचमी तिथी) उपासक पूरा दिन व्रत करते हें. शाम को गुड की खीर, रोटी और फल खाते है . ३६ घंटों के निर्जला व्रत की शुरुवात होती है .
षष्ठी तिथी chhath puja
षष्ठी तिथी को निर्जला व्रत के साथ शाम को डुबते हुए सुरज को अर्ध्य दिया जाता है. बाँस की टोकरी में चावल के लड्डू, फल, ठेकुआ आदि चीजें रखकर डुबते सुरज को अर्ध्य दिया जाता है. नदि किनारे जाकर कमर तक पानी में खडे रहकर अर्ध्य दिया जाता है.
सप्तमी तिथी- chhath puja
उगते सूरज को अर्ध्य देकर व्रत का समापन किया जाता है. chhath puja
धन्यवाद