शरद पूर्णिमा / कोजागिरी पौर्णिमा Sharad Purnima / Kojagiri Purnima in Hindi
ॐ ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मये नमः
आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार,
अश्विन मास में शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है.
वैसे तो पूर्णिमा हर महीने आती है. परंतु शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है. शरद पूर्णिमा को अमृत बरसाने वाली पूनम भी कहा जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के सबसे शरद पूर्णिमा सितंबर या अक्टूबर मास में आती है.
“ शरद पूर्णिमा की रात मतलब पूनम की रात.
मानो आसमान में लाखों हीरे बिखरे हुए हो
पूनम के चांद की रोशनी चारों दिशाओं में फैली हुई हो
जैसे कि चांद हंसते-हंसते अमृत की बरसात कर रहा हो
चांद की ठंडक से तन मन में प्रसन्नता छा गई हो
मौसम में हल्की हल्की ठंडक हो रही हो
गरबे के रास में गोपिया मगन हो गई हो
मां लक्ष्मी की कृपा सब पर हो रही हो
सब पर बरसात हो रही हो. “

शरद पूर्णिमा का महत्व Sharad Purnima Importance in Hindi
शरद पूर्णिमा कोजागिरी पूर्णिमा, कौमुदी पूर्णिमा आश्विन शुक्ल पूर्णिमा के नाम से भी जानी जाती है. इस पूर्णिमा को माणिक्य थारी (मोती बरसाने वाली) पूनम भी कहा जाता है. ब्रज में शरद पूर्णिमा की तिथि को महारास के नाम से भी जाना जाता है.
शारदीय नवरात्रि एवं विजयादशमी के बाद आने वाली पूनम शरद पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है.
यह पूर्णिमा हिंदू, बुद्ध एवं किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण होती है. किसान इसे “ नवान्न पूर्णिमा” के नाम मनाते हैं. “ माडी पूर्णिमा” के नाम से भी शरद पूर्णिमा पहचानी जाती है.
माणिक्य थारी Moti Barsane Wali Purnima in Hindi
इस बार शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर को मनाई जाएगी. मान्यताओं के हिसाब से इस दिन चंद्रमा अपनी पूरी 16 कलाओं के साथ होता है.
ऐसी मान्यता है कि चांद के किरणों से अमृत बरसता है.
इस दिन चांद पृथ्वी के अधिक निकट होता है . चांद की रोशनी औषधीय गुणों से परिपूर्ण होती है. चांद पृथ्वी के निकट होने की वजह से इस बात का लाभ मनुष्य जाति को होता है.
इसीलिए खीर, मसाला दूध आदि व्यंजन पकाकर चांद की रोशनी में छलनी से ढक कर रखे जाते हैं. चांद के किरणों से आने वाले औषधीय गुण इन व्यंजनों में समाहित होते हैं.
इनका ग्रहण करने से मनुष्य को जीवन में दमा अस्थमा जैसी बीमारियों में राहत मिलती है.
कोजागिरी पूर्णिमा, कौमुदी पूर्णिमा Kojagiri Purnima in Hindi
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी प्रकट हुई थी.
इसलिए यह तिथि मां लक्ष्मी की जन्म तिथि एवं प्रकट दिन के नाम से भी जाना जाता है.
मां लक्ष्मी भगवान श्री विष्णु उसके साथ भूतल पर आती है और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती है ऐसी मान्यता है.
ऐसा माना जाता है शरद पूर्णिमा की रात को मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आकर “को जागर्ति” (संस्कृत में) आवाज लगाती है. इसका मतलब है वह पूछती है कौन जग रहा है मैं अपने साथ ज्ञान का भंडार लाई हूं.
उनके हाथ में जो कलश होता है उसका ज्ञान और सोना वह भक्तों में वितरित करती है.
जो कोई भी जग रहा होता है उस पर वह अपनी कृपा दृष्टि बरसाती है.
शरद पूर्णिमा की रात को मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. उन्हें खीर का भोग लगाया जाता है. यह खीर चांद की चांदनी में रात भर रख दी जाती है.
चांद की किरणों के औषधीय गुणों से यह खीर औषधीय गुण धर्मा को अपना लेती है.
सुबह में आनंद से प्रसाद ग्रहण किया जाता है.
यह दिन दिवाली जैसा ही मनाया जाता है. घर की साफ सफाई की जाती है.
महालक्ष्मी की पूजा की जाती है. घी का दीपक लगाकर घर के आगे रोशनी की जाती है.
महारास Krishna Maharaas in Kojagiri in Hindi
वैसे तो कृष्ण की हर लीलाओं को रासलीला कहा जाता है. परंतु यमुना किनारे शरद पूर्णिमा के रात बंसीवट में कान्हा ने जो पूरी रात नृत्य किया उसे महारास कहा जाता है.
शरद पूर्णिमा की रात कान्हा ने ऐसी बंसी बजाई की सारी गोपियां मंत्रमुग्ध सी हो गई.
कान्हा की तरफ खींची चली गई. गोपियों के मन में कृष्ण को सिर्फ पाने की इच्छा थी लेकिन कामवासना नहीं थी.
इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने कामदेव का घमंड चकनाचूर किया था.
किसान -“नवान्न पूर्णिमा” Farmer’s Kojagiri in Hindi
बरसात का मौसम समाप्त होना. हल्की ठंडी की शुरुआत होना. किसान खेती में फसलों की कटाई कर चुका होता है.
इसीलिए इसे “नवान्न पूर्णिमा” के नाम से जाना जाता है.
नवान्न = नव+ अन्न इसका मतलब यह नया अनाज.
भारत के ग्रामीण भाग में किसान इसे विशेष तौर पर मनाते हैं.
इस दिन चावल, नाचनी, वरई और झंडू के फूलों की खरीदारी की जाती है. किसानों के घर नए अनाथ से भर चुके होते हैं.
इसीलिए किसान चावल से बनने वाले विभिन्न पकवान बनाकर पूर्णिमा मनाता है.
अलग-अलग प्रांतों में मनाई जाने वाली शरद पूर्णिमा Sharad Purnima in Different States in Hindi
- शरद पूर्णिमा को बंगाली लोग लोक्खी पूजा ऐसा संबोधित करते हैं. इस दिन बंगाली लोग नारियल के दूध में शक्कर घी और सूखा मेवा को एकत्रित कर पकवान बनाते हैं.
- वैष्णव संप्रदाय के लोग बनारस में भजन कीर्तन करते हैं.
- गुजराती रास गरबा खेलते हैं.
- हिमाचल में यात्राएं निकलती है.
- हरियाणा में खीर बनती है.
- ओडिशा में गज लक्ष्मी देवी की पूजा की जाती है. इसमें चांद सूरज को एक साथ पूजा करने की विधि होती है.
- राजस्थान में सफेद कपड़े और चांदी के गहने पहनने का रिवाज है.
शरद पूर्णिमा तिथि 2022 Sharad Purnima Tithi 2022
शरद पूर्णिमा के दिन इस बरस सर्वार्थ सिद्धि योग बना हुआ है. इस दिन उत्तर भाद्रपद और रेवती नक्षत्र का संयोग नजर आ रहा है.
सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात काल 06:18 मिनट से प्रारंभ हो रहा है. श्याम 04: 21 मिनट तक है.
इस योग में किए जाने वाले सभी कार्य सिद्ध होते हैं.
- तारीख: 09/10/2022
- नक्षत्र: उत्तर भाद्रपद
- योग: ध्रुव
- वार :रविवार
- पूर्णिमा प्रारंभ: 08/10/2022 को देर रात 03:41 मिनट पर होगी
- पूर्णिमा समाप्ति: 09/10/2022 को देर रात 02:24 मिनट पर होगी
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