शारदीय नवरात्र 2022 Shardiya Navratri 2022 in Hindi
|| या देवी सर्वभूतेषु शक्ती रुपेण संस्थिता
नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः||
||सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते||
आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार,
आज हम शारदीय नवरात्रि Shardiya Navratri के बारे में कुछ बातें जानेंगे.
नवरात्र = नव (9)+ रात
नौ रातों का समूह याने नवरात्रि .नवरात्रि पूरे भारत में बहुत जोरों शोरों में मनाई जाती है. नवरात्रि 9 दिन और 10 रात मिलाकर अत्यंत लोकप्रिय उत्साह होता है.
नवरात्रि के 9 दिन बहुत शुभ और पवित्र माने जाते हैं. मां दुर्गा के पूजन के लिए शारदीय नवरात्रि Shardiya Navratri की विशेष मान्यताएं है. नवरात्रि में किए जाने वाले मां दुर्गा के पूजा से आनंद, सुख, समृद्धी, समाधान, ज्ञान ,शक्ती, मानसन्मान, धनधान्य आदि प्राप्त होता है.
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है.अखंड दीया कलश पूजन, घटस्थापना, रंगीबिरंगी फुल, रंगीबिरंगी साड़ियां पहन कर तितली जैसी दिखने वाली औरतें, जगराता ,गोंधळ, कन्या पुजन, गरबा, भोंडला, महाअष्टमी, महानवमी, दसरा (विजयादशमी) आदि गतिविधियों से भरा हुआ नवरात्रि का त्योहार औरतों को अधिक प्रिय है.
जय माता दी
बोलो शेरावाली माता तेरी सदा ही जय
नवरात्री Navratri
1 साल में कुल मिलाकर 4 नवरात्रि आती है.
- पहिली चैत्र नवरात्री – गुढीपाडवा से रामनवमी तक
- दुसरी शारदीय नवरात्री – अश्विन शुद्ध प्रतिपदेसे लेकरअश्विन शुद्ध नवमी तक
- तिसरी शाकंभरी नवरात्री – पौष शुद्ध सप्तमी से पौष शुद्ध पूर्णिमा तक
- चौथी नवरात्री – गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती है.
चैत मास में आने वाली नवरात्रि उत्तर भारत में विशेष स्थान रखती है. जबकि शारदीय नवरात्रि Shardiya Navratri पूरे भारत में पूरे उत्साह में मनाई जाती है.
शारदीय नवरात्री 2022 Shardiya Navratri 2022 In Hindi
शारदीय नवरात्रि “बुराई पर अच्छाई कि मात” इस भावना से मनाई जाती है. 9 दिन तक माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है.
जिस तरह से गणेश चतुर्थी को गणेश मूर्तीची स्थापना करते हैं.. उसी तरह अश्विनी शुक्ला प्रथमा वाले दिन माता की मूर्ति की स्थापना की जाती है. 9 दिन तक माताके प्रतिमा को अलग – अलग रंगों की साड़ियां पहनाई जाती है.
गणेशउत्सव में अथर्वशीर्ष का विशेष स्थान है. उसी तरह नवरात्रि में श्री-सूक्त, दुर्गा अष्टक, दुर्गा स्तुति, जगराते में गाए जाने वाले गाने, भजन, होम हवन इन सभी का विशेष स्थान होता है.
नवरात्री विशेष रुप सेउत्तर भारत, गुजरात, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल इन भारत के राज्यों में बहुत धूमधाम से मनाई जाती है.मां का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु भक्त 9 दिन का उपवास रखते हैं. नवरात्रि के 9 दिन भक्त दारू,मांसाहार,कांदा,लहसून आदि वस्तुओं का त्याग करते हैं.
कोई भक्त चमड़े की चीजें मतलब जूते,चप्पल,बेल्टआदि वस्तुएं भी इस्तेमाल नहीं करते हैं.
नवरात्रि के बाद दसवे दिन विजयादशमी (दसरा) का त्यौहार मनाया जाता है.
- दशहरे वाले दिन प्रभु श्री राम रावण को मारकर लंका पर विजय पाई थी.
- मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर देवताओं को राहत दी थी.
इसीलिए नवरात्रि का त्यौहार असत्य पर सत्य की विजय जरूर होती है यह संदेश हमें देता है.
नवरात्री नृत्य Dance Performed In Navratri In Hindi
मां भगवती को प्रसन्न करने के लिए भारत के कई प्रांतों में अलग-अलग तरह के नृत्य किए जाते हैं. ऐसा कर भक्त अपना भक्ति का प्रदर्शन करता है.
- गुजरात का गरबा
- पश्चिम बंगाल का छाऊ
- महाराष्ट्र का घागर फुंकणे, भोंडला, गोंधळ, जोगवा आदि
यह सभी नृत्य के प्रकार सामूहिक तरीके से किए जाते हैं. बड़े-बड़े मैदानों में मंडप डाले जाते हैं. इन जगहों पर सैकड़ों लोग इकट्ठा होकर सामूहिक तरीके से नाच में मगन हो जाते हैं.
रोज की परेशानियों और तान तनाव से दूर होने के लिए , त्योहारों मैं होने वाली गतिविधियां जड़ी बूटियों जैसा काम कर जाती है.
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूप Nine Forms Of Maa Durga In Navratri 2022 In Hindi
मां दुर्गा को आदिमाया, जगदंबा, जगत जननी इन नामों से पहचाना जाता है.
नवरात्रि में मां के उग्र और सौम्य ऐसे दोनों छवियों की पूजा की जाती है:
- सौम्य रूप – उमा, गौरी, पार्वती, जगदंबा और भवानी
- उग्र रूप – दुर्गा, काली, भैरवी, चामुंडा
प्रथम शैलपुत्रीति, द्वितीय ब्रह्मचारिणी |
तृतीय चंद्रघंटाति, कुष्मांडा ती चतुर्थकम् ||
पंचम स्कंदमातेती षष्ठम कात्यायनीतिच |
सप्तम् कालरात्रीती महागौरीतिचअष्टम ||
नवमं सिद्धिदां प्रोक्ता नवदुर्गा: प्रक्रिर्तिता: |
उक्तान्येतानि नामानि ब्राह्मणैव महात्माना ||

शारदीय नवरात्र 2022 तिथी समय Navratri 2022 Tithi Time in Hindi
नवरात्रि में भक्त माता के 51 शक्तिपीठों के दर्शन करने के लिए जाते हैं. हिंदी पंचांग के हिसाब से अश्विन शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा से नवमी तिथीतक मनाई जाती है.
इस साल नवरात्री Navratri का महापर्व 26 सप्टेंबर, सोमवार ते पाच अक्टूबर बुधवार तक मनाया जाएगा. दसवे दिन माता के मूर्ति को विसर्जित किया जाता है.
जगत जननी माता महिषासुर से दुनिया की रक्षा करने हेतु राक्षस महिषासुर के साथ बिना रुके 9 दिन रात युद्ध किया था.
इस युद्ध के बाद वह थक जाती है. इसीलिए दशहरे से पूर्णिमा तक माता के मंदिर बंद रखे जाते हैं.
कई जगह पर माता के जुलूस दशहरे वाले दिन निकालते हैं. तो कई जगहों पर यह जुलूस कोजागिरी पूर्णिमा वाले दिन निकाले जाते हैं.
- अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा की शुरुआत 26 सप्टेंबर 2022, सुबह 03:24 मिनट पर होगी.
- अभिजित मुहूर्त- 26 सप्टेंबर 2022,सुबह 11:54 मिनट से दोपहर 12:42 तक रहेगा.
- घटस्थापना मुहूर्त- 26 सप्टेंबर 2022,सुबह 6:20 मिनिट से सुबह 10:19 मिनिट तक रहेगा.
दिन | दिनांक / वार | देवी पूजा | रंग |
पहला दिन | 26/09/2022 सोमवार | घटस्थापना, माँ शैलपुत्री पूजा | सफेद (White) |
दूसरा दिन | 27/09/2022 मंगलवार | चंद्र दर्शन, माँ ब्रह्मचारिणी पूजा | लाल (Red) |
तीसरा दिन | 28/09/2022 बुधवार | सिंदूर तृतीया, माँ चंद्रघंटा पूजा | नीला (Royal Blue) |
चौथा दिन | 29/09/2022 गुरुवार | विनायक चतुर्थी माँ कुष्मांडा पूजा | पीला (Yellow) |
पांचवा दिन | 30/09/2022 शुक्रवार | उपांग ललिता व्रत माँ स्कंद माता पुजा | हरा (Green) |
छठा दिन | 01/10/2022 शनिवार | माँ कात्यायानी पुजा | ग्रे / स्लेटी (Gray) |
सातवां दिन | 02/10/2022 इतवार | माँ सरस्वती आवाहन, माँ काल रात्री पूजा | नारंगी (Orange) |
आठवां दिन | 03/10/2022 सोमवार | माँ सरस्वती पुजा दुर्गाष्टमी, महा – गौरी पूजा, संधी पुजा | मोरपंखी (Peacock Green) |
नववां दिन | 04/10/2022 मंगलवार | महानवमी, आयुध पूजा नवमी होम, माँ सिद्धिदात्री पूजा | गुलाबी (Pink) |

नवरात्री के 9 रुपो की और रंगों के खासियत Importance Of 9 Forms And Colours In Navratri 2022 In Hindi
नवरात्रि में माता को अलग-अलग रंगों की साड़ियां हर रोज पहनाई जाती है. आजकल औरतें भी यह ट्रेंड को फॉलो करती है.
माता को जिस रंगकी साड़ियां पहनाई जाती है उसी रंग की साड़ियां खुद भी पहन लेती है.
रास्ते पर, बाजार में एक ही रंग की साड़ियां पहनी हुई महिलाएं बहुत खूबसूरत लगती है. इस दौरान महिलाएं नए नए कपड़े/ साड़ियां खरीदने का लुफ्त उठाती है.
पहला दिन 1st form Shailputri
शैलपुत्री – सफेद रंग
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है. इसे दिन घट स्थापना की जाती है. राजा हिमालय और रानी मैनावती की पुत्री का नाम शैलपुत्री था. नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के इसी स्वरूप का पूजन किया जाता है.
मां शैलपुत्री को दो हाथ होते हैं
- दाएं हाथ में त्रिशूल
- बाएं हाथ में कमल
- घटस्थापना से योगी योग साधना की शुरुआत करते हैं.
- सफेद रंग – शांती, ज्ञान तपस्या और शक्तीका प्रतीक होता है.
मंत्र – ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः
दुसरा दिन 2nd form Brahmacharini
देवी ब्रह्मचारिणी – लाल रंग
दुसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है..माँदुर्गा का दुसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी या नाम से जाना जाता है.
ब्रह्मचारिणी देवीको दो हात होते है.
- दाएं हाथ में जपमाला
- बाएं हात मे कमंडलु
- लाल रंग – पवित्रता और शांती की निशानी है.
मंत्र – ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
तिसरा दिन 3rd form Chandraghanta
देवी चंद्रघंटा – नीला रंग
नवरात्रि के तिसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. माँ दुर्गा का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा नाम से जाना जाता है.
माँ चंद्रघंटा 10 हाथों वाला प्रचंड स्वरूप है:
- माता के दो हातोमे त्रिशूल है.
- एक हातमे गदा
- एका हातमे धनुष्यबाण
- एक हातमे तलवार
- एक हातमे कमल का फुल
- एक हातमे घंटा
- एक हातमे कमंडलु
- एक हातमे जपमाला
- एक हात अभय मुद्रा – आशीर्वाद देते हुए
- नीला रंग – बलिदान, साहस वअसत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक होता है..
मंत्र – ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः
चौथा दिन 4th form Kushmanda
देवी कुष्मांडा – पीला रंग
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा की जाती है. माँ दुर्गा का चौथा स्वरूप कुष्मांडा नाम से जाना जाता है.
कुष्मांडा देवी को आठ हात होने की वजह से वह अष्टभुजा नाम से भी जानी जाती है.
- एक हाथ मे गदा
- एक हाथ मे त्रिशुल,
- एक हाथ मे कमंडलु
- एक हाथ मे धनुष्यबाण
- एक हाथ मे कमल
- एक हाथ मेअमृत कलश
- एक हाथ मे चक्र
- एक हाथ मे जप माला
- माँ कुष्मांडा आरोग्य की देवी है.
- पीला रंग – संतती सुख, समृद्धी, स्नेह और मोक्ष प्राप्ती के लिये माना जाता है.
मंत्र – ॐ देवी कूष्माण्डायै नम:
पांचवा दिन 5th form Skandadevi
स्कंददेवी – हरा रंग
नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंद माता की पूजा की जाती है . मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप माता के नाम से जाना जाता है.
माता के इस स्वरूप को चार हाथ है:
- दो हाथों में कमल
- एक हाथ में पुत्र स्कंध याने की कार्तिकेय स्वामी
- एक हाथ आशीर्वाद देते हुए है.
- कंधा माता का अस्त्र कमल है.
- स्कंदमाता कमल पर बैठी होने की वजह से उन्हें पद्मासिनी नाम से भी जाना जाता है.
- माता के इस स्वरूप की पूजा संतति सुख देने वाली है.
- हरा रंग –खुशी और उजाले का प्रतीक है.
मंत्र – ॐ देवी स्कंदमातायै नम:
छहवाँ दिन 6th form Katyayani
देवी कात्यायनी – ग्रे रंग
नवरात्रि के 6 दिन कात्यायनी माता की पूजा की जाती है..मां दुर्गा के स्वरूप को कात्यायनी नाम से जाना जाता है. शेर पर सवार होकर मां दुर्गा ने अपने इसी स्वरूप में महिषासुर का वध किया था.
मां के इस स्वरूप को चार हाथ है.
- एक हाथ में बड़ी तलवार है.
- एक हाथ में कमल
- अभय मुद्रा
- वरद मुद्रा
- ग्रे रंग – विकास और नए काम की शुरुआत के लिए माना जाता है.
मंत्र – ॐ देवी कात्यायन्यै नम:
सातवां दिन 7th form Kalratri
देवी कालरात्री – नारंगी रंग
नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि माता की पूजा की जाती है. दुर्गा माता के सातवें स्वरूप का नाम कालरात्रि नाम से जाना जाता है.
माता के इस रूप को 4 हाथ है:
- एक हाथ में वज्र
- एक हाथ में वक्र तलवार
- अभय मुद्रा
- वरद मुद्रा
- नारंगी रंग – बल व शक्ती का संगम होता है.
मंत्र – ॐ देवी कालरात्र्यै नम:
आठवां दिन 8th form Mahagauri
महागौरी – मोरपंखी रंग
नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है.. दुर्गा का आठवां स्वरूप महागौरी नाम से जाना जाता है
माता के इस स्वरूप को 4 हाथ है:
- एक हाथ में त्रिशूल
- एक हाथ में डमरू
- अभय मुद्रा
- वरद मुद्रा
- मोरपंखी रंग – ऊर्जा, महत्वकांक्षा, दृढ विश्वास औरसमृद्धी की निशानी होता है.
मंत्र – ॐ देवी महागौर्यै नम:
नौवां दिन 9th form Siddhidatri
सिद्धिदात्री – गुलाबी रंग
नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. मां दुर्गा के नौवें स्वरूप का नाम सिद्धिदात्री है.
माता के इस स्वरूप को चार हाथ है:
- हाथ में गदा
- एक हाथ में कमल
- एक हाथ में शंख
- एक हाथ में चक्र
- माता के सिद्धिदात्री स्वरूप को अर्धनारीश्वर स्वरूप के नाम से भी जाना जाता है.
- भगवान शिव व आदिशक्ती इनके जुड़ाव से बनने वाला यह स्वरूप सिद्धिदात्री है.
- गुलाबी रंग – स्नेह और सद्भावना की निशानी है.
मंत्र – ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नम:
शारदीय नवरात्री की पौराणिक कथा Story Of Navratri 2022 In Hindi
कथा 1 Story1
प्राचीन काल में ब्रह्मा देव ने महिषासुर नामक एक राक्षस को वरदान दिया था. महिषासुर बहुत शक्तिशाली राक्षस था. महिषासुर बहुत ही अत्याचारी राक्षस था. लोगों पर जुल्म करने लगा. वरदान पाकर महिषासुर ने तीनों लोकों पर अपना वर्चस्व स्थापित किया.
देवराज इंद्र ने अपने सेना के साथ महिषासुर को ललकारा. परंतु महिषासुर की शक्ति के आगे देव की सेना बहुत देर तक टिक न पाई. इस वजह से देवराज इंद्र और समस्त देव भगवान शिव और माता पार्वती के पास मदद के लिए दौड़े थे. माता पार्वती ने महिषासुर का अंत कर देवताओं की मदद करने का आश्वासन देवताओं को दिया. माता पार्वती ने शेर घर पर सवार होकर मां दुर्गा का रूप धारण किया.
माता पार्वती और महिषासुर में 9 दिन तक युद्ध चला. हर रोज माता ने अपने अलग अलग स्वरूप मैं महिषासुर और राक्षसों की सेना से युद्ध किया. यही 9 दिन नवरात्रि के नाम से जाने जाते हैं. महिषासुर का अंत करने की वजह से माता को महिषासुरमर्दिनि भी कहा जाता है.
कथा 2 Story 2
एक और प्राचीन कथा के अनुसार,रावण सबसे बड़ा शिव भक्त माना जाता है. भगवान श्री राम ने रावण से युद्ध करने से पूर्व 9 दिन तक माता की आराधना,पूजा, होम हवन किया था. माता ने प्रसन्न होकर प्रभु श्री राम को विजय होने का आशीर्वाद दिया था. इसी कारण 9 दिन तक माता की पूजा की जाती है . 10 वा दिन विजयादशमी के नाम से जाना जाता है.
जय माता दी
बोलो शेरावाली माता तेरी सदा ही जय

निष्कर्ष Conclusion
नवरात्रि के समय मौसम में बदलाव आता है. बारिश का मौसम समाप्ति की तरफ और ठंड का मौसम शुरू होने वाला होता है. पूजा आराधना करने से मन को शांति मिलती है. घर के माहौल में प्रसन्नता आ जाती है. होम हवन होने से माहौल के कीटाणु की वजह से फैलने वाली बीमारियों का खतरा कम होता है.
हर रोज नियमित कार्य करने की वजह से इंसान उब जाता है. गणेश चतुर्थी, नवरात्रि इन जैसे त्योहारों में मन में खुशियों की तरंग पैदा होती है. जिसकी वजह से मानसिक तनाव से दूरी हो जाती है. और सोच को नई दिशा मिलती है. इसीलिए हर किसी ने पूरे मन से त्योहारों में शामिल होना चाहिए ऐसा मुझे लगता है.
Very informative ??
तुम्ही तुमचा अमूल्य वेळ देऊन कमेंट दिल्याबद्दल धन्यवाद.
छान माहिती ??
तुम्ही तुमचा अमूल्य वेळ देऊन कमेंट दिल्याबद्दल धन्यवाद.