Sankatnashan Ganapati Stotram संकटनाशन गणपति स्तोत्रम् प्रणम्य शिरसा देवं..

Sankatnashan Ganapati Stotram

संकटनाशन महागणपति स्तोत्रम् 

||श्री गणेशाय नमः ||

 नारद उवाच

संकटनाशन महागणपति स्तोत्रम् Sankatnashan Ganapati Stotram Lyrics

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् |

भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुः कामार्थ सिद्धये ||

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् |

तृतीयं कृष्णपिन्डाक्ष गजवक्त्रं चतुर्थकम् ||

लम्बोदरं पंचमंच षष्ठं विकटमेव च |

सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टम् ||

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् |

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ||

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः |

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ||

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् |

पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ||

जपेदगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत् |

संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ||

अष्टभ्यो ब्राम्हणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत् |

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ||

|| इति श्री नारद पुराणे संकटनाशनं नाम महागणपति स्तोत्रं संपूर्णम् || 

श्री गणेश मंत्र Shree Ganesh Mantra

१. श्री महागणपति प्रणव मूलमंत्रः ॐ |

२. श्री महागणपति प्रणव मूलमंत्रः ॐ गं ॐ |

३. ॐ गं गणपतये नमः  |

४.ॐनमो भगवते गजाननाय |

5.श्री गणेशाय नमः |

6. ॐ श्री गणेशाय नमः |

7. ॐ वक्रतुंडाय नमः |

8.  ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं गौं गः श्रीन्महागणपधि पतये नम: | 

9. ह्रीं श्रीं क्लीं गौं वरमूर्तये नमः |

10. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नमो भगवते गजाननाय |

11. ॐ ह्रीं क्लीं नमो गणेश्वराय ब्रह्मरुपाय चारवे सर्वसिद्धि प्रदेयाय ब्रह्मणस्पतये नमः |

12. बीजाय भालचंद्राय गणेशपरमात्मने प्रण त क्लेशनाशाय हेरम्बाय नमो नमः |

13.आपदामपहर्तारं दातारं सुख सम्पदां क्षिप्रप्रसादानं देवं भूयो भूयो नमाम्यहम् |

14. नमो गणपते तुभ्यं हेरम्बायैकदन्तिने स्वानदवासीने तुभ्यं ब्रह्मणस्पतये नमः |

15. श्री गजानन जय गजानन जय जय गजानन |

16.  शुक्लांबरधरं देवं शशि सूर्यानिभाननम् प्रसन्नवदनंनं ध्यायेत्सर्वं सर्वविघ्नोंपशान्तये |

17. नमस्तस्मै गणेशाय ब्रह्मविद्या प्रदायिने यस्याङगस्तायते नाम  विघ्नसागर शोषणे ||

18.  ह्रीं गं ह्रीं गणपतये नमः |

19. ॐ वक्रतुंडाय नमः |

20. महाकर्णाय विदमहे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंतिः प्रचोदयात ||

21. यदभ्रु प्रणिहितां लक्ष्मीं लभन्ते भक्तकोटयः स्वतन्त्रमेंकं नेतारं विघ्नराजं नमाम्यहम् || 

धन्यवाद

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