Breaking 16 Superstitions: Embracing Logic Over Fear
Superstition V/S Logic
आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार,
आज हम एक बहुत ही दिलचस्प विषय पर बात करेंगे |
और यह विषय है, भारत की हर संस्कृति के पीछे छुपा हुआ वैज्ञानिक कारण |
Interesting Right ?
देखते ही देखते 21 वीं सदी आ गई | फिर भी आज भी लोग अंधविश्वास से जुड़ी बातों को अधिक महत्व देते हैं | अगर सोशल मीडिया पर कोई डाल दे कि इस पोस्ट को आगे भेजने से भगवान———प्रसन्न होंगे | तो उसके शेयर सबसे ज्यादा होते हैं | परंतु यह तो डर से किए जाने वाला कार्य है | अगर भगवान इतनी छोटी-छोटी बात से नाराज हो जाएंगे तो क्या वह हमारे भगवान है?
कोई भी कार्य सही या गलत नहीं होता है | सिर्फ वह करने के पीछे का हमारा मकसदसही या गलत होता है | डर से किए जाने वाले कार्य हमेशा से ही हानि पहुंचती है |
भगवान तो हर चीज में हमारे साथ है यह एक विश्वास है| जब तक यह विश्वास हमारे साथ है तब तक यह छोटी-छोटी बातें हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती |
भगवान अर्थात अपने अंदर के सकारात्मक विचार, ऊर्जा ! जब तकआस्था/ विश्वास ऊपर रहेगा तब तक भय नहीं होगा |
यही विश्वास आपको सही सोच देगी ,जिस कारण आप सही दिशा की ओर अपने कदम बढा पाओगे ,और अपने जीवन को उत्तम मार्ग पर रख पाओगे |
हमारे भारतीय संस्कृति में जितने भी तीज -त्यौहार,रीति रिवाज है उनके पीछे हुए हैं कई सारे वैज्ञानिक कारण ! परंतु ,लोग अपने सुविधा के हिसाब से इसे अंधश्रद्धा से जोड़ देते हैं |
आज हम इन्हीं सभी बातों के बारे में कुछ उदाहरण सहित जानकारी लेने की कोशिश करेंगे |
धर्म का अंधविश्वास से कोई संबंध नहीं होता है, क्योंकि धर्म आस्था और विश्वास पर टिका होता है, परंतु अंधविश्वास बेबुनियाद भय और तर्कहीनता गुलाम होता है |
टीवी चैनल भी चमत्कार, असंभव घटनाएं, इच्छाधारी नाग नागिन, भूत प्रेत आदि विषयों पर मनोरंजन हेतु सीरीज बनाते हैं | लोगों में भय का वातावरण होता है | पहले ही लोग अपने स्थिति से लड़ते झगड़ते हुए परेशान रहते हैं उसी में ऐसी नकारात्मक बातों में फंसकर वह अपनी सोच को सीमित कर लेते हैं |
हालांकि हमारे पूर्वजों द्वारा बनाई गई रीतिरिवाज कभी भी ऐसी नकारात्मक सोच और भय की गुलाम नहीं है |
सुनी -सुनाई बातें और अंधविश्वास लोगों के मन में घर कर जाते हैं | बिना सोचे समझे वह कई चीजों को अपने रूटीन लाइफ में ले आते हैं | कई पीढ़ी दर पीढ़ी किए जाने वाले कार्यों को नई पीढ़ी के लोग बिना सोचे समझे जस्ट फॉलो किए जा रहे हैं | और अगर उसमें कोई गलती हो जाए तो डर रहे हैं | हमारा डर ही हमारे नाकामयाबी की वजह होती है |
शुभ-अशुभ मानकर, हम उन सभी नियमों का पालन करते हैं, जो बहुत समय से चले आ रहे हैं। इन नियमों को देख-देख कर आने वाली पीढ़ी भी इसे सीखती है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस नई पीढ़ी ने कभी इन नियमों के पीछे छिपे रहस्यों को जानने का प्रयास किया है?
शायद नहीं। इसलिए, बहुत कम लोगों को यह पता है कि मिर्ची के साथ नींबू क्यों लटकाया जाता है या शव यात्रा के बाद स्नान क्यों किया जाता है? इन्हीं सवालों के जवाब, जिनमें कुछ वैज्ञानिक तर्क छिपे होते हैं। हां, उन सभी चीजों को जिसे हम अंधविश्वास मानते हैं, हम शुभ-अशुभ कहते हैं।
दही-शक्कर खाकर घर से बाहर निकलना Superstition V/S Logic In Hindi
किसी भी शुभ काम के लिए, घर से बाहर जाने के लिए अक्सर दही शक्कर खिलाना शुभ माना जाता है |
जबकि इसके पीछे का सही लगी की है कि,कोई भी शुभ काम के लिए बाहर जाने से पहले आदमी के दिमाग में बहुत सारे सवाल और टेंशन आता है | ऐसे में बेचैनी के कारण वह अपने काम को सही तरीके से नहीं कर पाता है| दही खाने से पेट में ठंडक आती है, और बेचैनी काम हो जाती है, और उसमें शक्कर डालने की वजह से बॉडी में ग्लूकोज की मात्रा बनी रहती है | काम पूर्ण होने की संभावना अधिक हो जाती है |
दरवाजे पर नींबू मिर्ची लटकाना Superstition V/S Logic In Hindi
अक्सर हम यह देखते हैं कि दरवाजे पर या, दुकान के बाहर नींबू और मिर्ची लटकाए जाते हैं| इन्हें अमावस और शनिवार के दिनबदल दिया जाता है | इसके पीछे लोगों का यह अंधविश्वास है कि ऐसा करने से बुरी ताकतों का साया दूर रहता है और किसी की नजर नहीं लगती |
परंतु इसके पीछे का सही लॉजिक यह है कि, नींबू और मिर्ची में मौजूद सायटिक एसिड की वजह से बहुत ही जल्द यह एक विशिष्ट प्रकार की गंध छोड़ने लगते हैं, जिस कारण कीड़े मकोड़े नहीं आते हैं |शनिवार और अमावस यह सिर्फ समय-समय पर वह बदलना याद रखने के लिए ही इन दोनों को बांधा गया है| अक्सर देखा गया है कि सप्ताह का दूसरा दिन और सप्ताहांतहोने के कारण इस दिनसमय अधिक मात्रा में उपलब्ध होता है
सांप को करने के बाद फिर कुचलना Superstition V/S Logic In Hindi
“सांप को करने के बाद सांप की आंखों में मारने वाले की तस्वीर छप जाती है और वह या उसका कोई साथी बदला लेता है “ इस कारण उसे किया सर कुचलते हुए हम अक्सर देखते हैं |
परंतु इसके पीछे का सही लॉजिक यह है कि, सांप के मर जाने के बावजूद भीउसका जहर लोगों को मार सकता है | इसके कारण उसका सर कुचलकर दबा दिया जाता है |
ग्रहण के समय बाहर न आना ? Superstition V/S Logic In Hindi
अक्सर हमने यह देखा है कि ग्रहण के समय पर घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी जाती है,और कहा जाता हैग्रहण के दौरान बुरी ताकत दे हावी होती है | कई लोग अंधश्रद्धा मानकर घर से निकल जाते हैं, तो कई लोग डर से या रिवाज समझ कर घर पर बैठ जाते हैं |
जबकि इसके पीछे का सही लॉजिक यह है कि, ग्रहण के वक्त सूर्य की किरणों से त्वचा के रोग हो सकते हैं | और इस समय डायरेक्ट सूर्य की ओर देखने से आंखों की रोशनी भी जा सकती है |
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गर्भवती महिला के घर से बाहर जाने पर पाबंदी Superstition V/S Logic In Hindi
अक्सर यह देखा जाता है कि गर्भवती महिलाओं को बाहर जाने से “ बुरी आत्मा का साया मां और होने वाले बच्चे पर पड सकता है” यह कहकर रोका जाता है |
जबकि इससे के पीछे का सही लॉजिक यह है कि , पहले के समय आने-जाने के साधनों की कमी थी, और महिलाओं के पास सिर्फ पैदल या सार्वजनिक परिवहन यही दो मार्ग होते थे | और इसमें जोखिम होने की कारण उन्हें अक्सर मना कर दिया जाता था |
नदी में सिक्के फेंकना Superstition V/S Logic In Hindi
“नदी में सिक्के फेंकने से भाग्य उजागर होता है, और अपने पूर्वज खुश होते हैं|” ऐसा कहा जाता है |
जबकि इसके पीछे का सही लॉजिक यह है कि, पुराने समय पर सिक्के तांबे की हुआ करते थे, और तांबे से पानी शुद्ध होता है | समय तालाब से पानी सीधे घरों में आता था, कोई वाटर फिल्टर नहीं होता था,इसी कारणतांबे के सिक्के नदी में तालाब में डालने का रिवाज था |
रात में नाखून नहीं काटना Superstition V/S Logic In Hindi
रात में नाखून नहीं काटने चाहिए रात में नाखून काटने से किस्मत पर बुरा प्रभाव पड़ता है | ऐसा कहा जाता है |
जबकि इसके पीछे का सही लॉजिक यह है कि, पुराने समय में बिजली नहीं हुआ करती थी, नाहीआज की तरहआधुनिक नेल कटर हुआ करते थे नाखूनों कोकाटने के लिए औजारों का इस्तेमाल किया जाता था | ऐसे में आहत होने के अधिक संभवत होने के कारण रात में नाखून नहीं काटे जाते थे |
मंगलवार और गुरुवार को बोल ना धोना Superstition V/S Logic In Hindi
आज भी हम अक्सर यह देखते हैं कि मंगलवार या गुरुवार कोमहिलाएं बाल धोने से परहेज करती है | क्योंकि उन्हें लगता है कि इस दिन बाल धोने से बुरे वक्त की शुरुआत हो जाएगी|
जबकि इसके पीछे का सही लॉजिक ही है कि, पुराने समय में घर में पानी स्टोर करके रखा जाता था | बाल धोने में पानी ज्यादा खर्च होता है | पानी बचाने के लिए यह दो दिन बोल ना धोने की सलाह दी जाती थी |
तुलसी का पौधा Superstition V/S Logic In Hindi
बहुत से लोग मानते हैं कि तुलसी का पौधा घर में रखना शुभ होता है।
वैज्ञानिक रूप से, तुलसी का पौधा वास्तव में एक औषधीय पौधा है जिसमें अनेक औषधीय गुण होते हैं और इसका वातावरण को शुद्ध करने में मदद करता है।
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हाथ की मेहंदी Superstition V/S Logic In Hindi
भारतीय संस्कृति में, महिलाएं अक्सरहर छोटे-मोटे तीज त्योहार पर, सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों पर अपने हाथों में मेहंदी लगाती हैं और मानती हैं कि यह उन्हें सौभाग्य और खुशियों की ओर ले जाती है।
जबकि वैज्ञानिक रूप से,अक्सर यह देखा गया है कि महिलाएं स्तनों की वजह से होने वाले बीमारियों से से परेशान रहती है, और मेहंदी के पत्तों में मेहंदी लाल रंग को उत्पन्न करने वाले तत्व होते हैं जो स्तनों को संरक्षित करते हैं।
कर्पूर -धुप दिया लगाकर पूजा करना Superstition V/S Logic In Hindi
कई लोग कर्पूर और धुप जलाते हैं, और इसे शुभ मानते हैं। और इसी से भगवान खुश होते हैं ऐसा मानते हैं |
वैज्ञानिक रूप से, कर्पूर की धुप जलाने से हवा में अनेक विशेष तत्वों का उत्पन्न होता है ,जो वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ाई में मदद करते हैं। और उसकी महक से मन में सकारात्मकता का प्रभाव होने लगता है | मन में विश्वास बढ़ता है | कपूर की वजह से सांसों से जुड़ी दिक्कत से राहत मिलती है |कपूर में मौजूद डिकॉन्गेस्टिव गुण पाया जाता है, जो गले से लेकर फेफड़े तक होने वाली सूजन को कम करता है और खांसी पर काम करता | धूप अगरबत्ती में मौजूद खुशबू के कारण मन में सकारात्मक आती है | और इंसान ऑटोमेटेकली पॉजिटिव चीजों की ओर अपना ध्यान केंद्रित करता है | इसलिए हमारे संस्कृत में हर घर में सुबह-शाम पूजा की जाती है |
नए वस्त्र Superstition V/S Logic In Hindi
बहुत से लोग विशेष अवसरों पर नए वस्त्र पहनने को शुभ माना जाता है |
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, अगर कोई व्यक्ति समय-समय पर विशेष अवसरों पर अच्छे और नए-नए कपड़े पहनता है तो अद्भुत महसूस करता है, तो उसके मन को प्रसन्नता मिलती है और वह अधिक सकारात्मक और उत्साही होता है।
नीम का पेड़ Superstition V/S Logic In Hindi
भारतीय संस्कृति में, नीम को आयुर्वेदिक चिकित्सा में अत्यधिक महत्व दिया जाता है।
वैज्ञानिक रूप से, नीम के पत्ते, त्वचा के लिए उपयोगी एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होते हैं।
पौधों का पूजन करना Superstition V/S Logic In Hindi
भारतीय संस्कृति में, पौधों की पूजा को महत्व दिया जाता है। अक्सर देखा है कई पौधों का पूजन त्योहारों के नाम से जोड़कर किया जाता है |
वैज्ञानिक रूप से, पौधों की पूजा और देखभाल करने से हमें अधिक शांति और संतुष्टि मिलती है, जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है। पूजा करने की वजह से कुछ समय पौधों के नजदीक महिलाएं कुछ समय व्यतीत करती है, जिस कारण उनके शरीर मेंअगर ऑक्सीजन से संबंधित कोई भी परेशानी हो तो वह हल हो जाती है |
चांदी के बर्तन Superstition V/S Logic In Hindi
बहुत से लोग मानते हैं कि चांदी के बर्तन खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। यहां तक की भगवान को तब चांदी के बर्तन में भोग लगाया जाता है |
वैज्ञानिक रूप से, चांदी के बर्तन खाने के बाद अगर खाना कुछ समय के लिए चांदी के संपर्क में होता है, तो इससे बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकने में मदद मिलती है। और यह हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है | अक्सर भूख का खान का लंबे समय तक बर्तन में ही रह जाता है , चांदी के बर्तन में भोग लगाने से यह हम लंबे समय के बाद भी ग्रहण कर सकते हैं |
शव यात्रा से आने के बाद स्नान करना Superstition V/S Logic In Hindi
शव यात्रा से आने के बाद स्नान करना चाहिए नहीं तो भूत-प्रेत पीछे लग जाते हैंक्योंकि वह स्मशान में होते हैं |
जबकि असली लॉजिक यह है कि, स्मशान मृतकों के शरीर को जलाया जाता है | जिस कारण ऐसी जगह पर अक्सर बैक्टीरिया वास करता है | और ऐसा बैक्टीरिया कम इम्यूनिटी वाले/ इंसानी शरीर को जल्दी से पकड़ लेता है| जिस कारण इंसान बीमार हो सकता है | नहाने की वजह से बैक्टीरिया निकल जाता है |
काला रंग Superstition V/S Logic In Hindi
हिंदू धर्म में, काला पहनना अक्सर शोक और अंत्येष्टि से जुड़ा होता है। ख़ुशी के अवसरों या समारोहों में काले कपड़े पहनने को भी हतोत्साहित किया जाता है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यह दुर्भाग्य लाता है। ऐसा माना जाता है कि, काला रंग दुख और दुर्भाग्य को आमंत्रित करता है | काले रंग को अक्सर राहु से भी जोड़ा जाता है |
विज्ञान की दृष्टि से काला रंग ऊष्मा का अवशोषक होता है। साथ ही यह रंग अपने आसपास की ऊर्जा को अपने अंदर सोख सकता है। यदि गर्मी में काले रंग के कपड़े पहने जाए तो ये अधिक ऊष्मा अवशोषित करता है, जो सेहत की दृष्टि से भी ठीक नहीं माना गया। अक्सर शादी ब्याह जैसे शुभ अवसर अप्रैल में की गर्मियों में ही आते हैं |
वहीं, साइकोलॉजी के अनुसार जो लोग काले रंग को पसंद करते हैं उनका मन से शांत नहीं रहता। वह अपने आसपास की सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित कर लेते हैं।
काला रंग केवल राहु का है , बल्कि हर किसी के जीवन में सुख का प्रकाश लाने वाले भगवान शनि का भी है | दुख का -नकारात्मकता का नाश करने वाली महाकाली का भी है, और भगवान शिव के महाकाल और शिवलिंग का भी रंग काला ही है |
निष्कर्ष Conclusion
अक्सर भारतीय संस्कृतिऔर सनातन धर्म की कई बातों कोअंधविश्वास मानकर पाला जाता है /या नहीं पाला जाता है |परंतु कोई भी संस्कृति के कुछ मानने के पीछे कुछ कारण होते हैं | वह जान कर ही सही या गलत यह अपनी राय बनानी चाहिए |
सुपरस्टिशन से बचने के लिए हमें विचारशीलता और विज्ञान की दिशा में चलना चाहिए ताकि हम सच्चाई और तथ्यों के आधार पर अपने जीवन को अच्छे से निर्माण कर सकें। अब आप जरूर बताइएगा आपको यह ब्लॉग कैसे लगा?
धन्यवाद