Kaal Bhairav Ashtakam – Lyrics and Their Essence

Kaal Bhairav Ashtakam – Lyrics and Their Essence

ॐ कालभैरवाय नमः

आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार ,

आज हम काल भैरव अष्टकम के बारे में जानेंगे !

परिचय Introduction Of Kaal Bhairav Ashtakam In Hindi

मंत्र  =|| मननात्  +त्रायतो ||

मंत्र का अर्थ होता है ,जिसका मनन करने से आपकी रक्षा हो जाए उसी को मंत्र कहा जाता है|

अपने ग्रह नक्षत्र के हिसाब से हम कोई भी देवताओं की पूजा पूरे मन से करें तोउसमें सफलता अवश्य मिलती है | परंतु अगर जो मंत्र हम बोल रहे हैंइसका अर्थ समझ जाए तो फल जल्दी प्राप्त होता है |

हिंदू धर्म में, भगवान शिव की विभिन्न रूपों में पूजा करी जाती है | प्रत्येक देव के अद्वितीय पहलू का एक प्रतिनिधित्व करता है |

भगवान काल भैरव एक भयंकर उग्र रूप में पूजे जाते हैं | उन्हें भैरव बाबा के नाम से भी जाना जाता है | काल भैरव अष्टकमशिव के इसी रूप को समर्पित एक भजन है | लाखों भक्त इस मंत्र के प्रभाव की अनुभूति ले चुके हैं | इस लेख मेंकाल भैरव अष्टकमके फायदे, महत्व, छंद और पूजा विधि के बारे में जानेंगे |

आने वाले 2 फरवरी 2024 को काल भैरवतिथि है |

काल भैरव अष्टकम हम कब पढ़ सकते हैं? When Can You Read Kaal Bhairav Ashtakam In Hindi

काल भैरव अष्टकम पढ़ने का सबसे अच्छा समय सुबह या शाम को है | इसे हम कोई भी 1, 11, 21, 51 अपनी इच्छा अनुसार कितनी भी बार पढ़ सकते हैं | परंतु दिन में एक बारपढ़ना चाहिए |

कालाष्टमी के दिन काल भैरव अष्टकम का विशेष महत्व होता है |

काल भैरव अष्टक कौन पढ़ सकता है? Who Can Read Kaal Bhairav Ashtakam In Hindi

काल भैरव अष्टकम कोई भी पढ़ सकता है | इसका फायदा तब ज्यादा होता है जब हम उत्तर दिशा की ओर देखते हुए इसे पढ़ें |

काल भैरव अष्टक के फायदे Kaal Bhairav Ashtakam Benefits In Hindi

  • काल भैरव अष्टकम के बारे में हमें आदित्य पुराण से काफी बातें सीखने मिलती है |
  • काल भैरव अष्टक राहु केतु और शनि के देशों के नकारात्मक प्रभाव को काम करता है |
  • काल भैरव अष्टकम रोजाना पढ़ने से कालचक्र में बदलाव आता है जिस वजह से जीवन की सभी समस्याओं का अंत होता है |
  • काल भैरव अष्टकम रोजाना पढ़ने से कालसर्प दोष से भी मुक्ति प्राप्त होती है |
  • ऐसा माना जाता है कि, काले जादू या बुरी नजर से भी पीड़ित लोगों को छुटकारा काल भैरव अष्टकम के पाठ करने से मिलता है |
  • काल भैरव अष्टकम केनियमित पाठ से गहरी आध्यात्मिक संबंध को बढ़ावा मिलता है |
  • पूरे मन और भक्ति से पूजा करने से काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता हैऔर जीवन की यात्रा में इसके अनुभव जरूर प्राप्त होते हैं |
  • जो व्यक्ति काल भैरव की शरण में आता है उसे भगवान दिव्या सुरक्षा और आशीर्वाद प्रदान करते हैं |

काल भैरवकी पूजा अनुष्ठान किस प्रकार किया जाए ? Procedure to do Kaal Bhairav Ashtakam Puja In Hindi

भगवान काल भैरव की पूजापूरे मन और भक्ति भाव से करने से भगवान के साथ गहरा संबंध प्रस्तावित होता है हम आसानी से उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं | काल भैरव की पूजा विधि एकदम सरल है |

  • उचित दिन और उचित समय का चुनाव करें |
  • स्वयं को और पूजा क्षेत्र को स्वच्छ करें |
  • चौकी या पाटे पर साफ कपड़ा रखकर उस पर काल भैरव की मूर्ति यां तस्वीर रखें |
  • भगवान को धूप दीप हार फुल अपनी इच्छा शक्ति अनुसार अर्पण करें|
  • प्रसाद के रूप में नारियल सिंदूर और मिठाई चढ़ाए  |

काल भैरव अष्टकम Kaal Bhairav Ashtakam 

आदि शंकराचार्य द्वारा रचितएक शक्तिशाली 8 छंदोवाला भजन काल भैरव अष्टकम कहलाता है | काल भैरव अष्टकम के श्लोक भगवान काल भैरव के अनूठे पहलू को दर्शाते हैं | उनके दिव्या गुना का वर्णन कर कर हम उनसे आशीर्वाद प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं | माना जाता है कि इस स्तोत्र को श्रद्धा पूर्वक भक्ति पूर्वक पढ़ने या सुनने से भगवान काल भैरव की कृपा हम पर बनी रहती है |

काल भैरव अष्टकम के श्लोक Kaal Bhairav Ashtakam Shlok

इंदु कालधारा दिव्य प्रकाश, दर्शने कालेभ्रम कपाली,
चंदा कांड भव शुद्ध सर्प, रोग हारा त्रयं काल भैरवम || १ ||
ब्रह्मा विष्णु शिव पूजिताय , स्वर्ण, वर्ण विशालाक्षय,
श्री श्श्वेत देव वाच स्तुथाय , काल भैरवाय नमो नमः || २ ||
भैरवं रक्तवर्णं स्वेत वक्त्रं,स्मेर्थि मंत्रं प्रार्थरुथय पदेन ,
नानार्थसंज्ञ नाथर्त्व थोषाय,काल भैरवाय वेत्थ नमः || ३ ||
स्तंम्भाने पदेन नित्य मेवम, प्रत्यहं सर्व पूजा क्रियाधीन,
शत्रु संग निवारकायथो, काल भैरवाय वेत्थ नमः || ४ ||

Kaal Bhairav Ashtakam

काल भैरव अष्टकम के श्लोक अर्थ Kaal Bhairav Ashtakam Shlok Meaning In Hindi

इंदु कालधारा दिव्य प्रकाश, दर्शने कालेभ्रम कपाली,
चंदा कांड भव शुद्ध सर्प, रोग हारा त्रयं काल भैरवम || १ ||

अर्थ:

में काल भैरव को नमस्कार करता हूं जो अपने सिर पर चंद्रमा को सुशोभित करते हैं | कपालों की माला पहनते हैं ,जो सांसारिक मोह रूपी सर्प का नाश करने वाले हैं| वह शारीरिक मानसिक आध्यात्मिक तीन प्रकार के कष्ट को दूर करते है |

ब्रह्मा विष्णु शिव पूजिताय , स्वर्ण, वर्ण विशालाक्षय,
श्री श्श्वेत देव वाच स्तुथाय , काल भैरवाय नमो नमः || २ ||

अर्थ:

भगवान काल भैरव को नमस्कार, जिनकी पूजा ब्रह्मा विष्णु और शिव करते हैं, जिनका रंग सोने के जैसा चमकीला है, जिनकी प्रशंसा दिव्या सफेद हंस द्वारा की जाती है |

भैरवं रक्तवर्णं स्वेत वक्त्रं,स्मेर्थि मंत्रं प्रार्थरुथय पदेन ,
नानार्थसंज्ञ नाथर्त्व थोषाय,काल भैरवाय वेत्थ नमः || ३ ||

अर्थ:

मैं काल भैरव को नमस्कार करता हूं | जिनका रंग लाल है, चेहरे पर चमक है और जो सुबह स्तोत्र का पाठ करने से प्रसन्न होते हैं वह सभी अर्थ और व्याख्या के ज्ञाता है |

स्तंम्भाने पदेन नित्य मेवम, प्रत्यहं सर्व पूजा क्रियाधीन,
शत्रु संग निवारकायथो, काल भैरवाय वेत्थ नमः || ४ ||

अर्थ:

प्रतिदिन सुबह स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है|  भगवान काल भैरवअपने भक्तों को शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव से बचाते हैं |

काल भैरव अष्टकम Kaal Bhairav Ashtakam

ॐ देवराजसेव्यमानपावनाङ्घ्रिपङ्कजं

व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्

नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥१॥

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं

नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्

कालकालमंबुजाक्षमक्ष शूलमक्षरं

काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥२॥

शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमा दिकारणं

श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्

भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं

काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥३॥

भक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं

भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्

विनिक्वणन्मनोज्ञहेम किङ्किणीलसत्कटिं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥४॥

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं

कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्

स्वर्णवर्णशेषपाश शोभिताङ्गमण्डलं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥५॥

रत्नपादुकाप्रभाभि रामपादयुग्मकं

नित्यमद्वितीयमिष्टदै वतं निरञ्जनम्

मृत्युदर्पनाशनं कराळदंष्ट्रमोक्षणं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥६॥

अट्टहासभिन्नपद्मजाण् डकोशसन्ततिं

दृष्टिपातनष्टपापजाल मुग्रशासनम्

अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकन्धरं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥७॥

भूतसङ्घनायकं विशालकीर्तिदायकं

काशिवासलोकपुण्य पापशोधकं विभुम्

नीतिमार्गकोविंद पुरातनं जगत्पतिं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥८॥

धन्यवाद

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