The Power of Tilak Aur Chawal – Unveiling Positivity

Tilak Aur Chawal Sacred Traditions Decoded: The Power of Tilak and Rice – Unveiling Positivity

तिलक क्यों लगाया जाता है ? Tilak Kyu Lagaya Jaata Hai In Hindi

तिलक लगाने के बाद चावल के दाने क्यों लगाए जाते हैं? Tilak Lagane Ke Baad Chawal Kyu Lagaya Jaata Hai In Hindi

अक्षताश्च सूरश्रेष्ठ कुंकमाक्ता: सुशोभिता: |

मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर ||

अर्थात,

 हे ईश्वर, आपकी पूजा कुमकुम के रंग से सुशोभित यह अक्षत आप को समर्पित कर रहा हूं, कृपया आप इसे स्वीकार करें |

आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार,

बरसों से चली आ रही प्रथा को हम निभाते चले आ रहे हैं |  हमने अक्सर यह देखा है कि, जब भी घर में कोई त्यौहार, शादी, पूजा, अनुष्ठान का समय होता है, सर्वप्रथम हम तिलक लगाते हैं | तिलक लगाने के बाद हम कुमकुम के ऊपर चावल के कुछ दाने लगाकर सर पर डालते हैं | तिलक लगाकर ही शुभ अवसर की शुरुआत की जाती है | वैसे तो माथे पर चंदन केसर आदि के भी तिलक लगाए जाते हैं | लेकिन, सबसे ज्यादा कुमकुम का ही तिलक किया जाता है |

फिर तिलक लगाकर उस पर चावल क्यों लगाए जाते हैं?

माथे पर तिलक के साथ चावल लगाने का वैज्ञानिक दृष्टिकोण Scientific Reason Of Applying Tilak Aur Chawal On Forehead In Hindi

माथे पर तिलक लगाने से दिमाग में शांति और शीतलता बनी रहती है|

तिलक जहां पर लगाया जाता है वहां पर आज्ञा चक्र होता है | जो इडा पिंगला तथा सुभुम्ना नाड़ी का संगम है | तिलक हमेशा आज्ञा चक्र पर ही लगाया जाता है,  जिसे चेतना केंद्र के नाम से भी जानते हैं |  चंदन का तिलक लगाने से शांति, शीतलता बनी रहती है | इससे दिमाग में सेटाटोनीन एवं  बीटाएंडोर्फिन नामांक रसायनों का संतुलन होता है | वह मेघा शक्ति बढ़ती है| मानसिक थकावट नहीं होता है |चावल को शुद्धता और पवित्रता के रूप में माना जाता है | कुमकुम का तिलक लगाया जाए तो उस पर चावल लगाते हैं |

तिलक लगाते समय सिर पर हाथ,

इसीलिए लगते हैं ताकि सकारात्मक ऊर्जा हमारे शीर्ष चक्र पर एकत्रित हो तथा विचार सकारात्मक हो | 

माथे पर तिलक के साथ चावल लगाने का धार्मिक विचार Religious Thought Of Applying Tilak Aur Chawal In Hindi

माना जाता है कि मनुष्य के  मस्तक के मध्य में विष्णु भगवान का निवास होता है, और तिलक ठीक इसी स्थान पर लगाया जाता है |

वहीं अगर शास्त्रों की बात करें तो चावल का भविष्य याने हवन में देवी देवताओं को चढ़ाने वाला शुद्ध अन्न माना जाता है |

एक और मान्यता के अनुसार चावल का अन्य नाम अक्षत भी है | 

अक्षत का अर्थ होता है कभी क्षय न होने वाला, ऐसा जिसका कभी नाश नहीं होता है |

दरअसल ऐसा माना जाता है कि कच्चे चावल व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं |

इसी वजह से पूजा के दौरान न केवल माथे पर तिलक लगाया जाता है, बल्कि पूजा की विधि संपन्न करने के लिए भी कच्चे चावलों का इस्तेमाल किया जाता है |

कोई भी पूजा की विधि में पुष्प, कुमकुम, मिठाई और चावल जरूरी होते हैं | इसीलिए कोई भी पूजा विधि बिना चावलों के पूरी नहीं  हो सकती| चावल शुद्धता का प्रतीक माना जाता है | इसीलिए पूजा में भी कुमकुम के तिलक के ऊपर चावल के दाने लगाए जाते हैं, ताकि हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर आसपास के माहौल में सकारात्मकता आए | 

मनोविज्ञान की दृष्टि से According To Psychology In Hindi

मनोविज्ञान की दृष्टि से तिलक एवं चावल लगाना उपयोगी माना गया है|

माता चेहरे का मध्य भाग होता है | 

जहां सभी की नजर अटकती है |

जब हम सामने वाले को देखते हैं,  तो सर्वप्रथम उसके आंखों में ही देखते हैं| 

दोनों आंखों के मध्य में हमारा माथा होता है|

माथे पर तिलक लगाकर सामने वाले की दृष्टि को बांधे रखने का प्रयत्न किया जाता है |

भारतीय संस्कृति में स्त्रिया लाल कुमकुम/ बिंदी लगाती है? Why do Women Apply Kumkum / Bindi In Hindi

बिना प्रयोजन स्त्रिया लाल कुमकुम माथे पर नहीं लगाती है |

लाल रंग उर्जा एवं स्फूर्ति का प्रतीक है |

तिलक की वजह से स्त्रियों के सौंदर्य में वृद्धि होती है |

देवी की पूजा आराधना करने के बाद माथे पर कुमकुम से तिलक किया जाता है |

तिलक देवी के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है| 

सबसे ज्यादा कुमकुम का ही तिलक किया जाता है |

भगवान को लगने वाले भोग में चावल का इस्तेमाल किया जाता है | 

सफलता का प्रतीक होते हैं कुमकुम और चावल

धन्यवाद 

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