Agrasen Maharaj’s Everlasting Legacy of Positivity
|| ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं सिद्ध लक्ष्मै नमः ||
|| जय अग्रसेन महाराज ||
पितामह श्री अग्रसेन महाराज Pitamaha Shree Agrasen Maharaj in Hindi
आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार,
अग्रपिता बन कर इन्होंने ,
नव समाज का निर्माण किया |
इनके ही विचारों के कारण ,
आज वैश्य जाति ने उद्धार किया ||
गलत परंपराओं को ठुकरा कर ,
पशु बलि को रोक दिया |
एक ईट और एक रुपए से ,
समाज को प्रगति का ज्ञान दिया ||
इनके ही तप और भक्ति भाव से
मां लक्ष्मी कुलस्वामिनी बनी,
मां लक्ष्मीजी के आशीर्वाद से,
आज हर अग्रवाल है धनी ||
प्रतापनगर का पिता बनकर,
अपने नगर को स्वर्ग से सुंदर बनाया |
अपनी सूझबूझ के चलते इन्होंने,
बेमिसाल अग्रवाल समाज बनाया ||
|| बोलो पितामह अग्रसेन महाराज की जय ||
महाराजा अग्रसेनजी का जन्म Ji Birth in Hindi Shree Agrasen Maharaj
Infinite Bhakti: Agrasen Maharaj’s Devotion Unveiled
समस्त अग्रवाल समाज के पितामह अग्रसेन महाराज का जन्म आज से लगभग 5,148 वर्ष पूर्व हुआ था. वह समय द्वापर युग का अंत और कलयुग की शुरुआत का था. धार्मिक मान्यता के हिसाब से अग्रसेन महाराज जी का जन्म नवरात्रि के पहले दिन यानी घटस्थापना वाले दिन होता है.
- राजवंश: सूर्यवंशी
- जन्मतिथि: अश्विन शुक्ल प्रतिपदा/ नवरात्रि का पहला दिन
- जन्म स्थल: प्रताप नगर
- पिता का नाम: महाराज वल्लभ सेन
- माता का नाम: भागवती देवी
- भाई का नाम: शूरसेन
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के पुत्र कुश के 35 वी पीढ़ी में अग्रसेन महाराज जी का जन्म हुआ था. सूर्यवंशी क्षत्रिय कुल के प्रताप नगर के राजा वल्लभ सेन अग्रसेन महाराज जी के पिता थे.
राजस्थान और हरियाणा के बीच सरस्वती नदी के किनारे प्रताप नगर स्थित है.महाराज वल्लभ सेन के 2 पुत्र थे. जेष्ठ पुत्र महाराज अग्रसेन तो दूसरे पुत्र का नाम शूरसेन था. अग्रसेन महाराज बचपन से ही पराक्रमी, शूरवीर, संवेदनशील, चतुर तथा दूरदर्शी थे.
महाराजा अग्रसेन के जन्म के समय गर्ग ऋषि ने राजा वल्लभसेन से कहा था की, “यह राजकुमार एक बहुत बड़ा शासक बनेगा हजारों वर्षों के बाद भी इसका नाम अमर रहेगा.”
अग्रसेन महाराज शासक Shree Agrasen Maharaj Ji Ruling History in Hindi
समाज को सुसंस्कृत, सभ्य और शक्तिशाली बनाना एक शासक की जिम्मेदारी होती है. ऐसे ही शासक महाराज श्री अग्रसेन थे.
अग्रसेन महाराज एक:
- आदर्श समाजवादी व्यवस्था के निर्माता थे.
- समाजवाद के प्रणेता थे
- लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के जनक थे.
- आर्थिक समरूपता एवं
- सामाजिक समानता के प्रेरक थे
- गणतंत्र के संस्थापक थे
- अहिंसा के पुजारी थे
- शांति के दूत एवं
- पशु हत्या के विरोधक थे
उस समय राजा हवन में पशु की बलि दिया करते थे. मात्र श्री भगवान श्री अग्रसेन जी ने इस बात को ठुकरा दिया. एक यज्ञ में घोड़े की बलि दी जा रही थी. निर्दोष और निर्बल पशु को देख मन में दया का भाव उत्पन्न हो गया . पशु बलि एक पाप है. यह जानकर उन्होंने पशु बलि की परंपराओं को ठुकरा दिया.
महाराजा अग्रसेन जी के राज में अगर किसी को आर्थिक समस्या आती है तो वह राजकोष से उधार ले सकता है. संपन्न होने पर उधार दि गई राशि लौटा सकता है यह अर्थव्यवस्था थी.
व्यापार, कृषि उद्योग, पशुपालन इन व्यापार को सहयोग करते हुए राज्य का विस्तार किया.
इन सभी गुणों के कारण आज भी समाज महाराजा अग्रसेन जी के दिखाए हुए रास्ते पर चल रहा है.
1 ईट एक रुपैया सिद्धांत Shree Agrasen Maharaj Ji’s Priciple of 1 Brick and 1 Rupee in Hindi
बाहर से आने वाले लोगों के लिए भी अग्रसेन जी ने व्यवस्था की थी. नगर के बाहर से अगर कोई नगर में बसने के लिए आता था, तो नगर का हर परिवार उस व्यक्ति को ₹1 और 1 ईट स्वागत हेतु देता था.
इस सिद्धांत की वजह से आने वाले को तुरंत सहायता मिल जाती थी. ईट से वह अपना घर बना लेता था. एक और इकट्ठा हुए रुपयों से व्यापार शुरू कर सकता था. सच में यह सोच बहुत बेहतरीन थी.
समाज का निर्माण Agarwal Community formation by Agrasen Maharaj Ji in Hindi Shree Agrasen Maharaj
अग्रसेन जी तप,धर्म पूजा पाठ में विश्वास रखते थे. अपने तप और भक्ति भाव से उन्होंने महालक्ष्मी को प्रसन्न किया था. ”जब तक मां लक्ष्मी की उपासना होती रहेगी तब तक मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी”. ऐसा वरदान उन्होंने समस्त अग्रवाल समाज के लिए मां लक्ष्मी जी से पाया था.भगवान अग्रसेन जी के उपासना की वजह से ही मां लक्ष्मी कुलस्वामिनी बनी.
महाराज अग्रसेन जी के 18 पुत्र हुए थे. उस समय ब्राह्मण प्रतिष्ठित तथा धनवान व्यक्ति से ही दक्षिणा लिया करते थे. यज्ञ द्वारा ब्राह्मणों की इच्छाएं पूरी हो जाती थी. इस कारण अग्रसेन जी ने अपने 18 पुत्रों के नाम से यज्ञ करवाया.
18 गोत्र के नाम 18 Gotra Of Agarwal Samaj in Hindi Shree Agrasen Maharaj
महाराज अग्रसेन जी ने अग्रवाल समाज के 18 गोत्र का निर्माण किया:
- गर्ग
- गोयल
- गोयन
- बंसल
- कंसल
- सिंघल
- मंगल
- जिंदल
- तिंगल
- एरोन
- धरन
- मधु कूल
- बिंदल
- मित्तल
- तायल
- भंदल
- कुच्छल
- नंगल
महाराजा अग्रसेन जी के विचारों का प्रभाव आज भी अग्रवाल समाज शाकाहारी, अहिंसक तथा धर्म पारायण के रूप में प्रतिष्ठित है. अग्रसेन जी की दंड नीति और न्याय नीति आज भी समाज के लिए प्रेरणादायक है.
अग्रसेन महाराज जी की कर्मभूमि अग्रोहा धाम About Agroha Dham in Hindi Shree Agrasen Maharaj
अग्रसेन महाराज ने आग्रोहा नाम से एक नगर बनाया. न्यू प्रताप नगर की राजधानी थी.आज यह नगर समस्त अग्रवाल समाज के लिए तीर्थ के बराबर है. अग्रोहा धाम हरियाणा प्रदेश के हिसार राज्य में स्थित है.सन 1984 में इस नगर को अग्रवाल समाज ने पुनर्निर्माण किया.
कुलस्वामिनी लक्ष्मी जी, मां सरस्वती एवं महाराज अग्रसेन की ऐसे तीन मंदिर अग्रोहा धाम में स्थापित है . मंदिर के पिछले हिस्से में 12 ज्योतिर्लिंग से बना हुआ रामेश्वर धाम है.
मंदिर परिसर में कृष्ण लीला की झांकी, जमीन के 15 फीट नीचे मां वैष्णो देवी की गुफा और हनुमान जी की 90 फुट ऊंची प्रतिमा शामिल है. इसका वर्णन शब्दों से करना मुश्किल है इसीलिए ऐसे पावन धाम पर हर अग्रवाल ने जीवन में एक बार जरूर जाना चाहिए.
अग्रसेन महाराज जी की इतिहास History of Shree Agrasen Maharaj Ji in Hindi
महाभारत के युद्ध में अग्रसेन जी के पिता राजा बल्लभ सेन शामिल हुए थे. उस समय अग्रसेन जी केवल 15 वर्ष के थे. अपने पिता वल्लभ सेन के साथ भाव कुरुक्षेत्र के महाभारत युद्ध पांडवों के पक्ष से शामिल हुए थे.
महाराज वल्लभ सेन को भीष्म पितामह के बाणों से युद्ध के दसवे दिन शरणागति प्राप्त हुई थी.
भगवान श्री कृष्ण के दिशा निर्देश से अग्रसेन जी ने 15 वर्ष की आयु में राजदरबार संभाला.उन्होंने बचपन से ही शास्त्र, अस्त्र शस्त्र, राजनीति और अर्थनीति का ज्ञान हासिल कर लिया था. उनका विवाह नागराज कुमुद की सुपुत्री माधवी से हुआ था.
उन्होंने 108 वर्ष तक कुशलतापूर्वक राज किया. नगर का विस्तार तथा प्रजा हित के कार्य किए. अपना दायित्व पूरा कर जेष्ठ पुत्र को राजदरबार देकर वनवास चले गए.
- अग्रसेन महाराज का सम्मान करते हुए भारत सरकार ने सन 1976 को डाक टिकट प्रकाशित किया.
- एक विशेष तेल वाहक जहाज का नाम “ महाराजा अग्रसेन” रखा गया.
- भगवान अग्रसेन जी के नाम से भागवत किताब है.
वर्तमान अग्रवाल समाज Present Shree Agrasen Maharaj in Hindi
तिथि के हिसाब से अगर देखें तो अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को भगवान श्री अग्रसेन जी की जन्म तिथि है. आज भी समस्त अग्रवाल समाज में अग्रसेन महाराज जी की जन्मतिथि याने की जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है.
जयंती के शुभ अवसर हेतु छोटे बच्चों से लेकर बड़े बूढ़ों तक के लिए विविध प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. क्रिकेट मैच, रैली, जुलूस खानपान का बंदोबस्त किया जाता है.
अग्रवाल समाज व्यापारी/ बनिए के नाम से जाना जाता है. अग्रकुल की लोकसंख्या देश के कुल जनसंख्या के मुकाबले केवल 1 प्रतिशत ही है.
एक सर्वे के अनुसार देश के कुल इनकम टैक्स का 24 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अग्रसेन वंशजों से सरकार को प्राप्त होता है.सामाजिक और धार्मिक दान में 62 प्रतिशत सहयोग अग्रवंशीओ का है.
इस बात को ध्यान में रखते हुए ,सरकार ने अग्रकुल पिता महाराज अग्रसेन के लिए कुछ बदलाव करने चाहिए.
हाईवे, प्रमुख ट्रेन को नाम, प्रमुख मार्ग, राजधानी दिल्ली में अग्रसेन जी का पुतला, सरकारी योजनाओं को महाराज अग्रसेन का नाम उनके स्मरणार्थ देना चाहिए.
इतिहास की किताबों में हमें मुगल साम्राज्य के बारे में पढ़ने मिलता है, उसी तरह इतिहास के किताबों में बच्चों को महाराज अग्रसेन के बारे में भी पढ़ाना चाहिए ऐसी मेरी मान्यता है. उन्होंने किए कार्य के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
इस बात का प्रचार अग्रकुल करना चाहिए. ऐसा मुझे लगता है.
अग्रसेन जयंती के अवसर अग्रकुल को संकल्पित होना चाहिए. संगठित होकर महाराजा अग्रसेन के सपनों को साकार करने का संकल्प करना चाहिए. यही सच्ची श्रद्धांजलि हम अपने पिता अग्रसेन महाराज को दे सकते हैं.
|| बोलो अग्रसेन महाराज की जय ||
धन्यवाद
Thanks for good information
तुम्ही तुमचा अमूल्य वेळ देऊन हा लेख वाचून कमेंट दिल्याबद्दल धन्यवाद.