शनि देव Shanidev
आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार
दिमाग मे कई बार विचार आते हैं कि शनि (Shanidev) के पास केवल परेशान करने के ही काम हैं?
क्या शनि देव (Shanidev) के और कोई काम नही हैं जो जातक को बिना किसी बात के चलती हुई जिन्दगी में परेशानी दे देते हैं?
क्या शनि से केवल हमी से शत्रुता है?
जो कितने ही उल्टे सीधे काम करते हैं, और दिन रात गलत काम में लगे रहते हैं वे हमसे सुखी होते हैं, आखिर इन सबका कारण क्या है?
शनि राखै संसार में हर प्राणी की खैर। ना काहू से दोस्ती और ना काहू से बैर ॥
आज के ही नही पुराने जमाने से ही देखा और सुना गया है जो भी इतिहास मिलता है उसके अनुसार जीव को संसार में अपने द्वारा ही मोक्ष के लिये भेजा जाता है।
तप का मतलब है जो भी है उसका मानसिक रूप से लगातार एक ही कारण को कर्ता मानकर मनन करना। और उसी कार्य पर अपना प्रयास जारी रखना।
शनि देव की जन्म कथा Shanidev Ki Janmkatha In Hindi
स्कन्द पुराण में काशी खण्ड के अनुसार,
भगवान सूर्य का विवाह राजा दक्ष की पुत्री साधना के साथ हुआ | सूर्य देव और संज्ञा को तीन संतान हुई- मनु, यमराज और यमुना
परंतु तब भी संज्ञा सूर्य देव के तेज से घबरती थी | इसी कारण उन्होंने सूर्य के तेज को सहन करने के लिए अपनी हम शक्ल सुवर्णा को बनाया | और अपने बच्चों के देखरेख की जिम्मेदारी उसे देखकर स्वयं पिता के घर चली गई |
छाया रूप होने के कारण सुवर्णा को सूर्य देव के तेज का प्रभाव अधिक नहीं हो रहा था |
सूर्य देव और सुवर्णा की भी तीन संताने हुई – तपती, भद्रा और शनि Shanidev
स्वर्णा भगवान शिव की बड़ी भक्त थी | जब भगवान शनि उनके गर्भ में थे उसे वक्त उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या करी | उसे समय उन्हें खाने- पीने की, सुबह शाम किसी भी चीज की शुध नहीं रही | भूख-प्यास धूप गर्मी सहने के कारण तप का प्रभाव स्वर्णा के गर्भ मैं पल रहे शनि पर पड़ा और जन्म के बाद शनि देव का रंग काला पड़ गया |
शनि देव Shanidev के जन्म के बाद स्वर्णा शनि देव को लेकर सूर्य देव के पास गई तो शनि देव के काले रंग को देखकर सूर्य देव ने स्वर्ण पर संध्या किया और उन्हें अपमानित करते हुए कह दिया कि यह पुत्र मेरा नहीं है |
माता के कठोर तप की शक्ति शनि देव में आ गई थी और मां का अपमान देखकर शनि देव को क्रोध आ गया | उन्होंने क्रोधित होकर अपने पिता सूर्य देव को देखा तो सूर्य देव काले हो गए सूर्य के घोड़े की चाल रुक गई परेशान होकर सूर्य देव भगवान भोलेनाथ की शरण में गए तो भोलेनाथ ने उनको सत्य की पहचान करवाई |
शनि देव ने भगवान शंकर की घर तपस्या करी| शनि की भक्ति को देखकर भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए तब वरदान के रूप में शनि देव ने भगवान भोलेनाथ से कहा,” मेरी पूजा मेरे पिता से अधिक हो, जिसके कारण सूर्य देव को अपने प्रकाश का जो अहंकार है वह टूट जाए” प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने शनिदेव को तुम तुम सौरमंडल के ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ ग्रह हो जाओ | पृथ्वी लोक में न्यायाधीश के रूप में तुम लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करोगे ‘
भगवान भोलेनाथ के इस वरदान की वजह से शनि देव को न्यायाधीश मानकर पूजा जाता है|
शनि देव – न्याय के देवता Shanidev As Nyayadhish In Hindi
सौरमंडल के ग्रहों में सूर्य देव को राजा, बुध को मंत्री, मंगल को सेनापति, शनि देव को न्यायाधीश और राहु केतु को प्रशासक माना जाता है | माना जाता है की कुंडली में ग्रहों की दिशा ही अपने सुख और दुख का कारण बनती है | ग्रहों की दशा अपने पूर्व जन्म केकर्म अनुसार जन्म पूर्व ही तय हो जाती है |
अथवा इस जन्म के कर्मों सेहम हम सुख और दुख के प्रभाव को कम ज्यादा कर सकते हैं | शनि देव जीव को उसके बुरे कर्मों की सजा अवश्य देते हैं | राहु और केतु दंड देने के लिए सक्रिय हो जाते हैं | भगवान शनि की अदालत में पहले दंड और बाद में मुकदमा लड़ा जाता है | इसीलिए कहा जाता है उसकी अदालत में फैसला होगा |
शनि देव की दृष्टि का प्रभाव Effect of Shanidev’s Vision In Hindi
शनि मंदिर मेंकभी भी भगवान शनि की प्रतिमा के सामने खड़े होकर पूजा नहीं करनी चाहिए | क्योंकि भगवान शनि की तेरी नजर जिस पर पड़ती है उसका बुरा वक्त शुरू हो जाता है | ऐसे कहा जाता है | परंतु जिसका बुरा वक्त आता है, उसे पर भगवान शनि की दृष्टि अवश्य पड़ती है, परंतु कई बार यह दृष्टि जीव को उसके जीवन के लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए ही होती है | बुरा समय जीव को सुधारने का और लक्ष्य को प्राप्त करने का एक मौका देता है इसी कारण इसे अच्छा या बुरा मानना यह अपने ऊपर है |
शनि देव को तेल क्यों चढ़ाते हैं Why Do We Offer Oil To Shanidev? In Hindi
एक समय भगवान शनि देव और हनुमान जी के बीच युद्ध हो रहा था जिसमें शनि देव की हार हो गई | किस युद्ध में शनि देव बुरी तरह घायल हो गए | शनि देव के घाव को कम करने के लिए हनुमान जी ने उन्हें तेल लगाया | उन्हें ठंडक महसूस हुई | तभी शनि देव ने कहा जो कोई भक्त मुझे तेल अर्पित करेगा मैं उसे पीड़ा नहीं दूंगा और उसके कष्टो को कम करूंगा | इसी कारण भगवान शनि को थंड करने हेतु तेल चढ़ाया जाता है |
भगवान शनि देव को शनिवार को दीपक क्यों जलते हैं Shanidev
शनि देव अंधकार के प्रतीक है, शनि बिगड़ जाए तो जीवन में अंधकार छा जाता है, ज्योतिष विद्या के अनुसार शनिवार की शाम को दीपक जलाने से जीवन में अंधकार दूर होता है इसी कारण शनिवार की शाम शनिदेव के सामने दीपक जलाया जाता है |
सारांश (शनि देव) Conclusion Shanidev
शनिदेव परमकल्याण कर्ता न्यायाधीश और जीव का परमहितैषी ग्रह माने जाते हैं। ईश्वर पारायण प्राणी जो जन्म जन्मान्तर तपस्या करते हैं, तपस्या सफ़ल होने के समय अविद्या, माया से सम्मोहित होकर पतित हो जाते हैं, अर्थात तप पूर्ण नही कर पाते हैं, उन तपस्विओं की तपस्या को सफ़ल करने के लिये शनिदेव परम कृपालु होकर भावी जन्मों में पुन: तप करने की प्रेरणा देता है।
ताकि वर्तमान जन्म में उसकी तपस्या सफ़ल हो जावे, और वह परमानन्द का आनन्द लेकर प्रभु दर्शन का सौभाग्य प्राप्त कर सके। यह चन्द्रमा और शनि की उपासना से सुलभ हो पाता है। शनि तप करने की प्रेरणा देता है।और शनि उसके मन को परमात्मा में स्थित करता है। कारण शनि ही नवग्रहों में जातक के ज्ञान चक्षु खोलता है।
भगवान शनि देव परमपिता आनन्द कन्द श्री कृष्ण के परम भक्त हैं, और श्री कृष्ण भगवान की आज्ञा से ही प्राणी मात्र के कर्म का भुगतान निरंतर करते हैं। Shanidev
धन्यवाद.