Rameswaram: An Island, A Symbol Of Indian Cultural And Religious Richness
रामेश्वरम: भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक समृद्धि का प्रतीक
आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार,
आज हम रामेश्वरम तीर्थ के बारे में जानेंगे.
रामेश्वरम तीर्थ एक शंखके आकार का बना हुआ सुंदर सा द्वीप है | यह द्वीप के चारों तरफ हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी है |
रामेश्वरम एक ऐतिहासिक शहर है जो दक्षिण भारत के प्रसिद्ध पर्वतीय भूमि पर स्थित है। यह स्थल हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है | और भारतीय संस्कृति और परंपराओं का महत्वपूर्ण संग्रहालय है। इस लेख में हम रामेश्वरम की महत्वता, इतिहास, पर्यटन स्थल, स्थानीय विशेषताएं, और अन्य जानकारी के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
परिचय Introduction
रामेश्वरम, तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यहाँ पर भगवान शिव के पवित्र मंदिर, रामनाथस्वामी मंदिर, स्थित है। रामेश्वरम भारत का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है जो हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। यहाँ पर हजारों श्रद्धालु वार्षिक यात्रा करते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। इसे हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है | जहाँ धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ निरंतर चलती रहती हैं।
ऐतिहासिक महत्व Historical Importance Of Rameswaram
रामेश्वरम का नाम प्रभु श्री राम के प्रवास से जुड़ा है। यहाँ पर भगवान राम ने लंका के राजा रावण को मारकर सीता माता के पुनर्मिलन का अवसर प्राप्त किया था। रामेश्वरम मंदिर में स्थापित भगवान शिव का लिंग यह 12 ज्योतिर्लिंग में से एक लिंग के साथ-साथ चार धाम में से एक धाम भी है | रामेश्वरम अर्थात जहां पर प्रभु श्री राम का वास हो, भगवान श्री राम के नाम से ही यह इस तीर्थ का नाम रामेश्वरम पड़ा है | यह जगह रामायण काल से प्रसिद्ध है |
रामेश्वरम के शिवलिंग की रचना स्वयं माता सीता ने की है | माता के अपने हाथों से बने इस लिंग को प्रभु श्री राम ने स्थापित किया है | रामेश्वरम में सावन के महीने में बहुत भीड़ होती है| आखिरकार 12 ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग है | रामनाथ स्वामी मंदिर दशरथ नंदन प्रभु श्री राम को समर्पित है |
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग कोउत्तराखंड से ले गए गंगाजल सेअभिषेक किया जाता है |
रामेश्वरम मंदिर की रचना The Creation Of Rameswaram Temple
वैसे तो हम सभी जानते हैं ,दक्षिण भारतीय सभी मंदिर वास्तुकला में बहुत ही रेखीय और लाजवाब होते हैं |
- रामेश्वरम मंदिर अपनी प्रभावशाली वास्तु कला के लिए प्रसिद्ध है |
- यहां का मंदिर परिसर सबसे प्रसिद्ध और भव्य तो होने के साथ-साथ गोपुरम मतलब प्रवेश द्वार , जटिल मूर्तियो के लिए भी प्रसिद्ध है |मुख्य प्रवेश द्वार जिसे पूर्वी गोपुरम कहा जाता है उसकी 126 फीट की ऊंचाई है | इस द्वार पर विभिन्न देवी- देवताओं और दिव्या प्राणियों की अलंकृत नक्काशी से सुशोभित है |
- मंदिर के प्राथमिक देवता लिंगम के रूप में रामनाथस्वामी (शिव) हैं।गर्भगृह के अंदर दो लिंगम हैं –
- परंपरा के अनुसार, एक को प्रभु श्री राम द्वारा स्थापित किया हुआ रेत का जो मुख्य देवता के रूप मैं पूजा होती है, उन्हें रामलिंगम कहा जाता है |
- एक को हनुमानजी द्वारा कैलाश से लाया गया था, जिसे विश्वलिंगम
कहा जाता है।
- मान्यता के अनुसार रामजी ने निर्देश दिया था कि सबसे पहले विश्वलिंगम की पूजा की जाए क्योंकि इसे हनुमान लाए थे -तो यह परंपरा आज भी जारी है।
- रामनाथस्वामी और उनकी पत्नी देवी पर्वतवर्धिनी के लिए अलग-अलग मंदिर हैं जो एक गलियारे से अलग हैं। देवी विशालाक्षी, उत्सव प्रतिमाएं, सयानगृह, भगवान विष्णु और भगवान गणेशजी के लिए अलग-अलग मंदिर हैं। कहा जाता है, कि महान योगी पतंजलि की समाधि इसी मंदिर में है और यहां उनके लिए एक अलग मंदिर भी है।
- मंदिर के अंदर विभिन्न हॉल हैं, जैसे अनुप्पु मंडपम, सुक्रवारा मंडपम, सेतुपति मंडपम, कल्याण मंडपम और नंदी मंडपम।
- रामेश्वरम मंदिर में जाने के लिए100 साल पुराना एक पुल है, यह पुल 145 कंक्रीट के खंबो पर खड़ा है |समुद्र के बीच से निकलती हुई ट्रेन का नजारा बहुत ही खूबसूरत है ,रामेश्वरम का गलियारा विश्व का सबसे बड़ा गलियारा के रूप में जाना जाता है |
सेतु समुद्रम Ram Setu Rameswaram
रामेश्वरम के इतिहास में सबसे प्रमुख विशेषता है सेतु समुद्रम की , जो प्रभु श्री राम द्वाराअपने वानर सेवा की मदद सेलंका तक पहुंचाने के लिए बनाया गया एक पौराणिक पल था | इस पल को एडम ब्रिज या राम ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है | यह पुलतैरते हुए पत्थरों और मंगा चट्टानों से बना हुआरामेश्वरम को श्रीलंका दीप से जोड़ता था |
22 कुंड का पानी 22 Kund In Rameswaram
यहां पर कुएं को कुंड कहा जाता है |पहले रामेश्वरम में 24 कुंड हुआ करते थे | परंतु अब 22 कुंड है | यहां पर 21 कुंड में नहाने का रिवाज है , क्योंकि 22 में कुंड में पूरे 21 कुंड का पानी उपलब्ध है |पानी तीर्थम के नाम से जान जाते हैं | अग्नि तीर्थम में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं | इन तीर्थ से निकलने वाले पानी को चमत्कारिक गुना से भरपूर माना जाता है, जिसमें डुबकी लगाने से सारे दुख दूर हो जाते और बीमारियां भी दूर हो जाती है |
मणि दर्शन Rameswaram Mani Darshan
- दिव्य ज्योति के रूप में दिखाई देने वाले स्फटिक के मणि का दर्शन रामेश्वरम में कराया जाता है |
- यह दर्शन का समय सुबह 4 से 6 बजे के बीच होता है |
- स्फटिक रूपी भोले बाबा का दर्शन कर श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति और समाधान का अनुभव प्राप्त होता है |
रामेश्वरम तीर्थ पौराणिक कथा Rameswaram Traditional Story Pauranik Katha
पौराणिक कथा के अनुसार, रावण ब्राह्मण कुल से था, और भगवान श्री राम के हाथों रावण की हत्या मतलब ही ब्रह्म हत्या का उन्हें पाप लगा था | जिसके पश्चाताप आपके लिएऋषियों ने भगवान श्री राम को शिवलिंग की स्थापना करके अभिषेक करने की सलाह दी थी | उसे समय प्रभु श्री राम ने हनुमान जी से कैलाश जाकर शिवलिंग लाने के लिए कहा था |
परंतु हनुमान जी को लौटाने में विलंब हो रहा था, इसी कारण माता सीता ने समुद्र के तट पर पड़ी हुई रहती से एक शिवलिंग बनाया | और प्रभु श्री राम ने स्वयं के हाथों से इस लिंग की स्थापना कर दी और जल अभिषेक कर पूजा संपन्नहो गई | फिर हनुमान जी द्वारा ले गए शिवलिंग की भी स्थापना की गई
इसीलिए रामेश्वरम मंदिर के गर्भ गृह में दो शिवलिंग स्थापित है |राम जी द्वारा स्थापित किए हुए राम लिंगम और हनुमान जी द्वारा ले गए विश्व लिंगम !
रामेश्वरम जाने का मार्ग The Way To Rameswaram
रामेश्वरम तमिलनाडु के पास है और रेल, सड़क, और हवाई मार्गों से सुलभता से जुड़ा है।
अन्य पवित्र स्थल Other Holy Places In Rameswaram
इसके अलावा भी कई धार्मिक और पवित्र स्थल हैं जैसे धनुष्कोटि और आदि।
इन सब के बारे में जानकारीके लिए रामेश्वरमस्थल पर क्लिक कीजिए | Rameshwaram
निष्कर्ष Conclusion Rameswaram
रामेश्वरम भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का महत्वपूर्ण स्थल है जो यात्रियों को अपनी अद्वितीय विविधता और प्राचीन इतिहास का अनुभव करने का मौका देता है।
पौराणिक ग्रंथ, महाकाव्य रामायण, प्रभु श्री रामऔर पौराणिक राम सेतु के साथ हम सबका जुड़ाव बहुत ही गहरा है | रामेश्वरम मंदिर भारत के भक्ति और सांस्कृतिक विरासत का एक बहुत बड़ा हिस्सा है |
यहां के भक्तिमय वातावरण, प्राकृतिक सौंदर्य, 22 कुआं में स्नान, ऊंचे द्वारा उनकी नक्काशियां, समुद्र के बीच से निकलती हुई ट्रेन का नजारा बहुत, विश्व का सबसे बड़ा गलियारा इन सब का अनुभव शब्दों से नहीं किया जा सकता है |
जय श्री राम !!
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