Matsya Avatar of Shri Vishnu – The Divine Fish Incarnation 2

Matsya Avatar of Shri Vishnu – The Divine Fish Incarnation

भगवान का मत्स्यावतार 

आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार,

आज हम भगवान श्री कृष्ण जी के प्रथम अवतार मत्स्य अवतार के बारे में जानेंगे,

इसके पहले हमने भगवान श्री कृष्ण के वराह अवतार के बारे में लिखा था | एक बार की बात है, गुरु वशिष्ठ जी अग्नि देव से भगवान के अवतार के बारे में जानना चाहते थे | matsya avatar

वशिष्ठ जी का प्रश्न Question Asked By Vashisht Ji

वशिष्टजी ने कहा-

अग्निदेव ! आप सृष्टी आदि के कारणभूत भगवन विष्णु के मत्स्य आदि अवतार का वर्णन कीजिए। श्री विष्णु भगवन के मुख से आपने सुने हुआ ब्रह्मस्वरूप अग्निपुराण को भी सुनाइए | matsya avatar

अग्निदेव द्वारा मत्स्य अवतार की कथा The Story Of Matsya Avatar By Agnidev

अग्निदेव बोले-

वशिष्ट ? सुनो! मैं श्री हरी के मत्स्य अवतार का वर्णन करता हूँ। अवतार धारण करने का कारण दुष्टो के विनाश और साधु पुरुषो के रक्षा के लिए होता है। बीतें हुये कल्प के अंत में ‘ब्रह्म’ नामक नैमेत्तिक प्रलय हुआ था। उस समय ‘भू’ आदि लोक समुद्र के जल में डूब गए थे। प्रलय के पहले की बात हे। 

ऋषी मनु भोग और मोक्ष की सिद्धि के लिए तपस्या कर रहे थे

एक दिन जब वे कृतमाला नदी में जल से पितरो का तर्पण कर रहे थे। उनके अंजली के जल में एक बहुत ही छोटा सा मत्स्य आ गया। राजा ने उसे जल में फेक देने का विचार किया। तब मत्स्य ने कहा, ‘महाराज ? मुझे जल मत फेको। यहाँ गृह आदि ‘जल-जन्तुओ’ से मुझे भय है। यह सुनकर मनु ने उसे अपने कलश के जल में दाल दिया। मत्स्य उसमे पड़ते ही बड़ा हो गया। और पुनः मनु से बोला- ‘राजन ? ‘मुझे इससे बड़ा स्थान दो।’  इसकी यह बात सुनकर राजा ने उसे एक बड़े जल पात्र में डाल दिया।

उसमे भी बड़ा होकर मत्स्य राजा से बोला ! मनू , मुझे कोई विस्तृत स्थान दो। तब उन्होंने पुनः उसे सरोवर के जल में डाला। किन्तु वो वह भी बढ़कर बड़ा हो गया, और बोला- मुझे इससे भी बड़ा स्थान दो। फिर मनु ने उसे समुद्र में ही डाल दिया। वह वो मत्स्य क्षणभर मे एक लाख योजन बड़ा हो गया। उस अद्भुत मत्स्य को देखकर मनु को बड़ा विस्मय हुआ। वे बोले- आप कौन हैं ? निश्चय ही आप भगवन विष्णु जान पड़ते हैं। नारायण ? आपको नमस्कार है।  भगवत आप किसलिए अपनी माया से मुझे मोहित कर रहे हैं ?

मनु के ऐसा कहने पर सबके पालन में संलग्न रहनेवाले मत्स्यरूपधारी भगवन उनसे बोले- राजन ,  मैं दुष्टो का नाश और जगत के कल्याण के लिए अवतीर्ण हुआ हूँ। आज से सांतवे दिन समुद्र सम्पूर्ण जगत को डूबा देगा। उस समय तुम्हारे पास एक नौका उपस्थित होगी। उसपर तुम सभी प्रकार के बीज रखकर बैठ जाना। सप्तऋषि भी तुम्हारे साथ रहेंगे। जब तक ब्रह्मा की रात रहेंगी तब तक तुम उसी नाव पर विचरते रहोगे। नाव आने के बात भी इसी रूप में उपस्थित होऊंगा। उस समय तुम मेरे सींग में  महासर्पमय रस्सी से उस नाव को बांध लेना। ऐसा कहकर भगवन मत्स्य अंतर्धान हो गए, और वैवस्वत मनु उनकी बताये गए समय की प्रतीक्षा करते हुये वही रहने लगे।

जब नियत समय पर समुद्र अपनी सीमा लाँधकर बढ़ने लगा। तब वे पूर्वोक्त नौका पर बैठ गए। उसी समय एक सींग धारण करने वाले सुवर्णमय मत्स्य भगवन का प्रादुर्भाव हुआ। उनका विशाल शरीर दस लाख योजन लम्बा था। उनके सींग में नाव बांधकर राजा ने उनसे मत्स्य नामक पुराण का श्रवण किया। जो सब पापो का नाश करने वाला है। 

मनु भगवन मत्स्य की नाना प्रकार के स्तोत्रों द्वारा स्तुति भी करते थे। प्रलय के अंत में ब्रह्माजी से वेद को हर लेनेवाले ‘हयग्रीव’ नामक दानव का वध करके भगवन ने वेद मंत्र आदि की रक्षा की। 

तत्पश्चात वाराहकल्प आने पर श्रीहरि ने कच्छपरूप धारण किया।

।। इस प्रकार अग्निदेव द्वारा कहे गए विद्यासारस्वरुप आदि आग्नेय महापुराण मे मत्स्यावतार  वर्णन नामक अध्याय  समाप्त हुआ ।। matsya avatar

।। ॐ विष्णुवे नमः ।।

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श्री मत्स्य नारायण मंदिर Sri Matsya Narayan Temple

बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित, चिन्मय तरंगिनी अपनी तरह का एक अनूठा ध्यान पार्क और मंदिर है जो श्री विष्णु के पहले अवतार श्री मत्स्य नारायण को समर्पित है। अपनी स्थापना के कुछ ही वर्षों के भीतर, चिन्मय तरंगिनी न केवल चेन्नई बल्कि दुनिया भर के भक्तों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बन गई है।

108 स्तंभ 108 Pillars

यहां 108 स्तंभ हैं जिन पर विष्णु सहस्रनाम से भगवान के 1000 नाम अंकित हैं, प्रत्येक अपनी प्रकृति का एक अनमोल संकेत है, जो सभी को उसी पर ध्यान करने के लिए कहता है। जो भक्त भगवान का नाम जपते हुए एक खंभे से दूसरे खंभे तक जाते हैं, उनके लिए घंटे सेकंड में बदल जाते हैं। स्तंभों पर अष्टोत्र के स्वामी चिन्मयानंद के नाम भी अंकित हैं, जो हमारे अंदर अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता की भावना जगाते हैं जो हमें ईश्वर की ओर इस मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

कंकड़ पथ Pebble Path

मुख्य देवता के चारों ओर प्रदक्षिणा करने से भक्तों को कंकड़ भरे रास्ते पर चलने का अवसर मिलता है, जो देवता का ध्यान करते समय पैरों पर दबाव बिंदुओं को ट्रिगर करके शरीर को एक्यूप्रेशर लाभ प्रदान करता है।

अधिक जानकारी के लिए यहां Chinmaya Mission क्लिक करें

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