Kedarnath’s Unveiling the 10 Mystical Secrets of the Divine Yatra

Kedarnath

आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार,

हिंदू जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र में विश्वास करते हैं। कर्म में भी विश्वास करते हैं, इस जीवन किए गए कर्म अगले जीवन में आपका भविष्य निर्धारित करते हैं। इसी कारण तरह की यात्रा करने मेंविश्वास रखते हैं | इसी विश्वास के साथ नए-नए तीर्थों की यात्रा करते हैं | इन यात्राओं में अनुभव तो मिलता ही है साथी नई-नई जगह का पता लगता है | मन को शांति एवं सुकून प्राप्त होता है | हर आत्मा मोक्ष की आकांक्षा करती है |

हिंदू धर्म के चार मुख्य लक्ष्य हैं, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष।

धर्म – वह नैतिक आचार संहिता है | जिसका हिंदुओं को पालन करना चाहिए।

अर्थ- धन और भौतिक संपत्ति की खोज है।

काम – आनंद की खोज है।

मोक्ष – जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति है।

आज हम भारत के सुप्रसिद्ध मंदिर केदारनाथ मंदिर के बारे में कुछ रहस्य भरी बातें जान लेंगे |

भारत में चार धाम की मान्यता दो जगह पर है |

केदारनाथ

बद्रीनाथ

गंगोत्री

यमुनोत्री

वैसे ही धर्म ग्रंथ के अनुसार स्थाई भारत के चार धाम भारत के चारों दिशा में स्थित है |

बद्रीनाथ– उत्तराखंड में हरी की पूजा होती है |

द्वारकाधीश पश्चिम में हरी की पूजा होती है |

जगन्नाथ पुरी -पूर्व में हरी की पूजा होती है |

रामेश्वरम – दक्षिण दिशा में हर की पूजा होती है |

हरि के साथ हर का होना जरूरी है |

केदारनाथ भारत के उत्तराखंड में गिरिराज हिमालय पर्वत की चोटी पर स्थित है | केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है | मान्यताओं के अनुसार केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग सर्वोच्च ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है | केदारनाथ धाम और आसपास के मंदिरों से जुड़ी कई कथाएं सुनने में आती है |

केदारनाथ शिवलिंग उत्पत्ति का रहस्य The Mystery Of Origin Of The Kedarnath Shivling

धार्मिककथा के अनुसार, केदारनाथ में जो भगवान शिव का लिंग से  पहला रहस्य जुड़ा हुआ है | भगवान श्री हरि विष्णुके अवतार महा तपस्वी नर और नारायण ऋषि इस जगह पर तपस्या करते थे | उनके कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव स्वयं प्रकट हो गए |

भक्त ऋषि के प्रार्थना अनुसार भगवान शिव ने ऋषियों को ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के लिए वास करने का वरदान दे दिया |

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के पास हिमालय पर्वत में दो पहाड़ है | यह दोनों पहाड़नर और नारायण के नाम से जाने जाते हैं | जिस तरह से कुरुक्षेत्र देवों की तपोभूमि कहलाती है, इस तरहभगवान श्री हरि के 24 अवतारों में से एक नर- नारायण की तपोभूमि केदारनाथ कहलाती है | ऐसा माना जाता है बद्रीनाथ धाम की स्थापना स्वयं नारायण ने की थी | इस बात का उल्लेख शिव पुराण के कोटी रुद्र में किया है |

क्या केदारनाथ अर्धर्ज्योतिर्लिंग है ? Is Kedarnath A Half Jyotirling?

जी हां ,मान्यता के अनुसार उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग और नेपाल में स्थित पशुपतिनाथ मिलकर पूर्ण ज्योतिर्लिंग/शिवलिंग बनता है | यहां के मंदिर का निर्माण जन्मेजय कराया था, तो जीर्णोद्धार आदि शंकराचार्य ने किया था |

केदारनाथ और पांडवों के बीच क्या संबंध है ? Connection Of Kedarnath And Pandavas

पांडवों ने अपने अज्ञातवास में भारत के कई जगहों पर शिवलिंग की स्थापना कर पूजा अर्चना की है, यह हमने अपने पुराणों में पढ़ा है | एक पौराणिक कथा पंच केदार के अनुसार, जब महाभारत के युद्ध समाप्ति के बाद पांडव अपने हाथों हुए अपने भाइयों-सगे संबंधियों के वध के कारण ग्लानी से भर उठे | उस वक्त भगवान श्री कृष्ण की आज्ञा से अपने पापों से मुक्ति हेतु शिव दर्शन के हेतु वह काशी पहुंचे | परंतु भोलेनाथ केदारनाथ आ पहुंचे गए| भोलेनाथ  के पीछे-पीछे पांडव भी केदारनाथ आप पहुंच गए | परंतु भोलेनाथ नेपांडवों की परीक्षा हेतु बैल का रूप धारण कर, बैल के झुंड में शामिल हो गए |

उसे वक्त पांडु पुत्र भीम नेअपना विराट रूप लेकर दोनों पहाड़ों के बीच खड़े हो गए | सभी पशु दोनों पहाड़ों के बीच सेभीम के पैरों के नीचे से चले गए | भगवान शिव अंतर्ध्यानहोने ही वाले थे ,उस समय वक्त भीम ने उनकी पूंछ पकड़ ली |

भोलेनाथ पांडवों की लालसा को देख प्रसन्न हुए और दर्शन दिया | पांडवों को पापमुक्ति का वरदान दिया |

पांडवों ने भगवान शिव के आदेश अनुसार केदारनाथ मंदिर का निर्माण किया |

जिस जगह पर भीम ने भगवान की बैल रूप में पूछ पकड़ी थी | वह जगह को आज हम केदारनाथ के नाम से जानते हैं | जिस स्थान पर भगवान शिव का मुख बैल के रूप में धरती से बाहर आया था | वह स्थान पशुपतिनाथ के नाम से जाना जाता है | इसी कारण यह दोनों ज्योतिर्लिंग मिलकर पूर्ण ज्योतिर्लिंग कहलाते हैं |

केदारनाथ मंदिर में आज भी बैल के पीठ की आकृति के शिवलिंग की पूजा पिंड के रूप में की जाती है |

केदारनाथ से रामेश्वरम का सफर Journey Of Kedarnath To Rameshwaram

उत्तराखंड के केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर और दक्षिण में स्थित रामेश्वरम मंदिर एक ही रेखा पर बने हुए हैं | है ना अचरज भरी बात !

इन दोनों मंदिरों के बीच कालेश्वर मंदिर(तेलंगाना), श्री काल हस्ती मंदिर (आंध्र) ,एकंबरेश्वर मंदिर (तमिलनाडु),अरुणाचल मंदिर (तमिलनाडु ), तिलई नटराज मंदिर (चिदंबरम) और रामेश्वरम (तमिलनाडु) यह सब मंदिर एक ही रेखा पर मौजूद है |

केदारनाथ के शिवलिंग पंचमहाभूत का प्रतिनिधित्व करते हैं ऐसी मान्यता है |

केदारनाथ एवं बद्रीनाथ धाम लुप्त हो जाएंगे ? Will the Kedarnath And Badrinath Temples Disappear 

धार्मिक ग्रंथो के अनुसार, केदारनाथ तीर्थ लुप्त हो जाएगा | ऐसी मान्यता है कि जिस वक्त नर और नारायण नाम की पहाड़ियां आपस में जुड़ जाएगी, उस वक्त बद्रीनाथ को जाने वाला रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाएगा | और हम जैसे भक्त बद्रीनाथ का दर्शनकर नहीं पाएंगे |

बद्रीनाथ एवं केदारनाथ यह दोनों तीर्थ लुप्त होकर “भविष्य बद्री” नामक एक नए तीर्थ का निर्माण हो जाएगा

2013 के प्रलय में भी सुरक्षित रहा यह प्राचीन केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ मूवी देखकर यह सब तो हम जानते ही हैं, 2013 में उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग केदारनाथ परिसर में भयंकर तूफान आया था| इस तूफान में लगभग 10000 भक्तों की मृत्यु हो गई थी | 16 जून 2013 को प्रकृति ने अपना विराट रूप दिखलाया था | ऊंची ऊंची इमारतें, पर्वत कुछ ही समय में कागज की कश्ती की तरह बह गई |

परंतु, अचरज की बात तो यह है कि जल प्रलय की वजह से मंदिर के पीछे की पहाड़ी नेअपनी अपनी जड़े कमजोर कर ली, और वह मंदिर की दिशा से तेजी से आने लगी, परंतु अचानक से वह पत्थर मंदिर के पीछे आकर रुक गया और पानी मंदिर के दोनों दिशाओं से बहने लगा | इस घटना के हम गवाह है कि ऐसी स्थिति में भी मंदिर, या भगवान शिव के लिंग को कोई भी नुकसान नहीं हुआ |

केदारनाथ मंदिर के द्वारा बंद रहते हैं 6 माह तक फिर भी दीपक की रोशनी कम नहीं होती है ? The Mystery Of The Lit Diya for 6 Months

दिवाली के अगले दिन केदारनाथ मंदिर के द्वार बंद किए जाते हैं | केदारनाथ के मुख्य पंडित जी दिवाली के अगले दिन मंदिर के अंदर एक दीपक जलाकर भगवान के पट बंद कर ताला लगाकर उसकी चाबी अगले 6 महीने के लिए पहाड़ के नीचे उखी-मठ रख देते हैं | 6 महीने के बाद मई महीने में जब पट खुलने के समय ही निकल जाती है | मई मैंने में हीउत्तराखंड के चार धाम की यात्रा शुरू होती है | इन 6 महीना में उत्तराखंड की अधिक शीत मौसम की वजह से वहां अधिक बर्फ जमा होता है | इस कारण यह छह महीना में मंदिर के आसपास कोई मौजूद नहीं होता है | 6 महीने पश्चात जब मंदिर के द्वार भक्तों के दर्शन के लिए खुलते हैं उसे वक्त 6 महीने पहले जलाया हुआ दीपक की अग्नि वैसे के वैसे ही जलती हुई मिलती है |

Kedarnath ki mystirious making

केदारनाथ मंदिर की रहस्यमई रचना Mysterious Creation Of Kedarnath Temple

केदारनाथ का मंदिर तीन हिस्सों में बांटा गया है |

गर्भगृह 

दर्शनमंडप (यहां पर भक्त एक बड़े से मैदान में खड़े होकर पूजा करते हैं |)

सभामंडप (यहां पर सभी यात्री इकट्ठा होते हैं |)

  1. 12 ज्योतिर्लिंग में से केदारनाथ सबसे ऊंचाई पर बसा हुआ शिव मंदिर है |
  2. मंदाकिनी नदी के किनारे से 3581 मी. की ऊंचाई पर केदारनाथ मंदिर स्थित है |
  3. यह मंदिर का निर्माण पत्थरों के शीलाखंड और कटवा पत्थरों के भूरे रंग के विशाल और मजबूत पत्थरों को जोड़कर किया गया है|
  4. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का आकार त्रिकोण है |
  5. केदारनाथ मंदिर 6 फीट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है | 85 फिट ऊंचे, 187 फुट चौड़े और 12 फुट मोटि दीवारें बनी हुई है |
  6. बाबा केदार का यह धाम शैली में बना हुआ है |
  7. मंदिर की छत लकड़ी की बनी हुई है |
  8. शिखर पर सोने का कलश है |
  9. मुख्य भाग मंडप और गर्भगृह के चारों ओर से प्रदक्षिणा मार्ग का निर्माण किया गया है |
  10. केदारनाथ धाम के तीनों तरफ ऊंची-ऊंची पहाड़ियों है | उनमें से 22000 फुट का केदार, दूसरी तरफ 21600 फुट ऊंचा खर्चकुंड और तीसरी तरफ 22700 फिट ऊंचा भरत कुंड का पहाड़ है |
  11. केदारनाथ धाम में पांच नदियों का संगम भी है | मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा,सरस्वती और स्वर्णगौरी | मंदाकिनी की सहायक अलकनंदा नदी आज भी मौजूद है |

नदिया और पहाड़ी के बीच बसा हुआ यह धाम अति मनमोहक है | धाम केदारनाथ में सर्दियों में भारी बर्फ और बारिश में जबरदस्त पानी रहता है | इसके बावजूद प्रतिवर्ष यात्री लाखों की तादाद में यहां दर्शन के लिए आते हैं | यह आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है |

अचरज की बात तो यह है, Suprising Factor

1.इतने साल पहले इतनी ऊंचाई पर इतने मनमोहन मंदिर की रचना कैसे की गई होगी?

2.पत्थरों को इतनी खूबसूरती से किसने तराशा होगा?

3.इतनी ऊंची पहाड़ी पर इतने भारी वजनदार पत्थरों को किस तरह पहुंचाया गया होगा ?

4.इतना वजन उठाने वाली क्रेन आज मौजूद है ?

Beauty of Kedarnath

केदारनाथ यात्रा Kedarnath Yatra

केदारनाथ पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 15 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है | वैसे तो सभी तीर्थ स्थान के जैसे यहां पर भी खच्चर, पालकी आदि का बंदोबस्त किया गया है |

केदारनाथ हेलीकॉप्टर सेवा Kedarnath Helicopter Services

पर आजकल केदारनाथ में हेली सेवा प्राप्त की जाती है |

केदारनाथ में गुप्तकाशी से थोड़ी ही दूरी पर बसा फाटा गांव से हेलीकॉप्टर पहले से ही किए हुए बुकिंग पर प्राप्त किया जाता है |

भारत सरकार के इस सेवा का नाम पवनहंस है |

वेबसाइट www.pawanhans.co.in

किराया – 4798/- gst

यात्रीसंख्या -5

कुल उड़ाने- 12

पहली उड़ान – सुबह 6:50

उड़ान सेवा – मई-जून और सितंबर-अक्टूबर

यह जानकारी अधिक आपके ऊपर दी गई वेबसाइट पर मिल जाएगी |

धन्यवाद

Kedarnath yatra

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