ॐ नमः शिवाय
Hariyali teej 2023 हरियाली तीज
हरियाली तीज कब आती है? When is Hariyali Teej Perform in Hindi
सावन \ श्रावण Shravan महीने मैं आनेवाली अमावस्या के बाद जो तृतीया तिथि आती है उस दिन हरियाली तीज मनाई जाती है. श्रावण \ सावन शुक्ल पक्ष की तृतीय. को हरियाली तीज आती है. इस साल सोमवार दिनांक, 19 अगस्त 2023 को हरियाली तीज का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा
हरियाली तीज कैसे मनाई जाती है? How We Celebrate Hariyali Teej 2023 In Marathi
सावन का महीना लगते ही त्योहारों की बौछार शुरू हो जाती है| हरियाली तीज इन्हीं में से एक त्यौहार है. महिलाओं के जीवन में इस त्यौहार का बड़ा ही महत्व होता है.
इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती है. हाथों में मेहंदी लगाती है. रिश्तेदार एवं आस पड़ोस की महिलाएं एक जगह पर इकट्ठा होती है. हरे रंग की सारी, लहंगा, चनिया चोली अपनी इच्छा के अनुसार पहनकर आती है. हाथों में हरी हरी चूड़ियां पहनती है. झूला झूलती है. नाच, गाना, आज के दुनिया के हिसाब से REELS बनाना, अलग-अलग खेल खेलना ऐसा पूरा दिन मौज मस्ती में बिताती है. ME TIME बिताती है. जिससे उसको घर संसार किस जिम्मेदारियां उठाने का साहस मिलता है. अलग-अलग महिलाओं से मिलने की वजह से उसकी समझ में प्रगति आती है.
मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड एवं उत्तर प्रदेश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. हरियाली तीज का पर्व वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है.
हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है? Why do we celebrate Hariyali Teej in Hindi
श्रावण तीज एवं छोटी तीज को हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है. माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 108 वर्षों तक कठोर तपस्या की थी. सावन में आने वाली शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि पर भगवान शिव ने माता पार्वती पर प्रसन्न होकर उन्हें पत्नी रूप में अपनाने का वरदान दिया था. इसी वजह से विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए हरियाली तीज का व्रत पूजा करती है. कुंवारी लड़कियां भगवान शंकर जैसे गुणों वाले पति की कामना में यह व्रत पूजा करती है.
हरियाली तीज की पूजा एवं विधि How do we Perform Pooja And Steps for Hariyali Teej in Hindi
- हरियाली तीज वाले दिन सुबह उठकर स्नान आदि जैसे प्राथमिक कार्यों कर ले.
- मिट्टी से गणेश जी, माता पार्वती एवं भगवान शिव लिंग की प्रतिमाएं बना ले.
- हरी साड़ी, और हरी चूड़ियां जरूर पहने.
- थाली में बेलपत्र रखकर उस पर मिट्टी की तीनों मूर्तियां रखें.
- घी का दीपक लगाकर दीप पूजन कर ले.
- जल में थोड़ा गंगा जल मिलाएं
- प्रथम गणेश जी फिर माता पार्वती और बाद में भगवान शिव शंकर पर जल अर्पण करें.
- पूजा इसी क्रम में करें.
- फिर पंचामृत से स्नान करवाएं.
- शुद्ध जल से स्नान करवाएं.
- वस्त्र के रूप में तीनों मूर्तियों पर कलेवा चढ़ाएं.
ॐ नमः शिवाय का जप करें
- गणेश जी और शिवलिंग पर चंदन का तिलक करें. उन्हें जनेऊ पहनावे.
- माता पार्वती को कुमकुम का तिलक करें. तिलक पर चावल लगाए.
- तीनों मूर्तियों को अपनी-अपनी यथार्थ स्थान पर रखें तीनों प्रतिमा पर फूल चढ़ाएं.
- भगवान शिव और माता पार्वती की अगर फोटो हो तो उन्हें भी तिलक, चावल एवं फूल चढ़ाएं.
- माता पार्वती को हरी चुनरी, हरी चूड़ियां एवं सोलह श्रृंगार अर्पण करें.
- भगवान गणेश पर दूर्वा चढ़ाएं.
- बेलपत्र पर चंदन का टीका लगाकर भगवान शिव पर अर्पण करें.
- रंगोली, फूल, पत्ते रोशनाई आदि सजावट की चीजों से सजावट करें.
- घर की बड़ी- बुजुर्ग महिलाओं को सारी एवं सजावट की चीजें तोहफे में दे. उनसे आशीर्वाद ले.
- अपनी मनोकामना पूरी हो ऐसा भगवान शिव एवं माता पार्वती से वरदान मांगे.
- पति की लंबी उम्र के लिए मनोकामना करें.
- संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है.
- निर्जल, फल खाकर उपवास करें.
- घर में विविध पकवान बनाएं.
- सावन के महीने में घेवर, सुतरफेनी को अधिक महत्व होता है. इन पकवानों का भोग भगवान जी को जरूर लगाएं.
शादी के बाद की पहली तीज बहुत ही महत्वपूर्ण होती है .नवविवाहित कन्या के पीहर से “सिंजारा” आता है. लड़की पीहर जाती है. ससुराल से भी सिंजारा आता है. लड़की ससुराल जाती है.
सिंजारा क्या और क्यों होता है? What and Why Sinjara Is Shared in Hindi
आपसी संबंधों को दृढ करने के लिए मेल मिलाप होना जरूरी होता है. यह मेल मिलाप त्योहारों में ही संभव होते हैं. नवविवाहित कन्या के ससुराल एवं पीहर से कन्या को त्योहारों पर कई समान दीया जाती है . सावन महीने में बहू बेटी को देने वाले समान को “सिंजारा” कहा जाता है.
सिंजारा में बहू बेटी को (पीहर वाले ससुराल वालों को, ससुराल वाले पीहर वालों को) :
- फल,
- मिठाई,
- गहने,
- कपड़े,
- श्रृंगार का सामान,
- पर्स,
- चप्पल
आदि जरूरत के हिसाब से सामान लिया दिया जाता है. एक दूजे के घर जाकर प्रीतिभोज का आनंद उठाया जाता है.
सोलह श्रृंगार का सामान List of 16 shringaar of women in Hindi
- स्नान – श्रृंगार पूर्व
- बिंदी
- सिंदूर
- काजल
- मेहंदी
- फूल\ गजरा
- मांग टीका
- नाक की नथ
- कान के कुंडल
- मंगलसूत्र
- बाजूबंद
- चूड़ियां
- अंगूठी
- कमरबंद
- बिच्छूवे
- पायल
हरियाली तीज की कथा एवं महत्व What is the Importance And Significance of Hariyali Teej in Hindi
ऐसा कहा जाता है. हरियाली तीज कथा स्वयं भगवान शिव शंकर जी ने माता पार्वती को जन्म की याद दिलाने के लिए सुनाई थी.
माता पार्वती ने हिमालय पर 12 वर्षों तक कठोर तप किया. तपती हुई गर्मी, सिकुड़ने वाली सर्दी एवं धुआंधार बारिश की परवाह किए बिना माता ने भगवान शिव जी को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. यह तपस्या उन्होंने सिर्फ पत्ते खाकर की थी.उनके इस कठोर तप को देखकर पिता हिमालय बहुत चिंतित थे. एक दिन नारद ऋषि राजा हिमालय से मिलने आए. राजा ने उनका बहुत आदर सत्कार किया. परंतु हिमालय राजा की बेटी के प्रति चिंता उनके मुख पर देव ऋषि नारदजी ने देख ली. उनसे बेटी पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से करने का प्रस्ताव रखा जिसे राजा हिमालय ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.जब यह वार्ता माता पार्वती ने सुनी तो वह बहुत दुखी हो गई. क्योंकि वह मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थी. पिता उनका विवाह भगवान श्री विष्णु से करना चाहते थे.
माता का फैसला
अपनी और दुविधा उन्होंने अपनी एक सहेली से कहीं. सहेली ने उन्हें एक घनघोर वन में छुपकर तपस्या करने की राय दी. सहेली के कथन अनुसार माता पार्वती एक घनघोर वन में छिप गई. यहां पिता हिमालय ने बेटी को ढूंढने के लिए धरती पाताल ऐड कर दिए. परंतु हिमालय माता पार्वती को ढूंढ ना सके.
दूसरी और माता पार्वती घनघोर वन में एक गुफा में हरे हरे पत्ते खाकर तपस्या करने लगी. वहीं पर उन्होंने भगवान शिव शंकर जी को स्मरण करते हुए रेत का शिवलिंग बनाया. शिवलिंग का प्रतिदिन पूजन किया.
वरदान
सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर भगवान शिव शंकर जी ने प्रसन्न होकर माता पार्वती को पत्नी रूप में अपनाने का वचन दिया. इसीलिए हरियाली तीज सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाई जाती है.
यह कथा जो कोई भी भक्ति भाव से हरियाली तीज के पर्व पर सुनता कहता है, उसे स्वयं भगवान शिव शंकर अपना आशीर्वाद देते हैं, ऐसा पुराणों में लिखा है.
निष्कर्ष Conclusion in Hindi
सावन के महीने में प्रकृति में बहुत सारे बदलाव आते हैं. बारिश का मौसम रहने की वजह से चारों ओर हरियाली छा जाती है. इसी कारण तृतीया तिथि पर आने वाली इस चीज को हरियाली तीज भी कहा जाता है. माता पार्वती सिर्फ हरे पत्ते खाकर कठोर तप किया था. इसी कारण इस दिन व्रत किया जाता है. हरे कपड़े हरी चूड़ियां को भी महत्व दिया जाता है. माता को भी हरी चुनरी हरी चूड़ियां अर्पण की जाती है.
आज से 40 – 50 साल पहले महिलाएं घर गृहस्ती के काम से खुद को निवृत्त नहीं कर पाती थी. खुद के लिए समय निकालना तो बहुत ही दूर की बात थी. सावन में आने वाले इस तरह के अलग-अलग त्योहारों पर सजना- सवरना, एक दूजे को मिलना इससे उत्साह बढ़ता है. इसीलिए हर किसी ने त्योहारों के जश्न को पूरे जोश उल्लास के साथ मनाया जाना चाहिए.
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