Ayodhya Ram Mandir – Miraculous History
आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार,
रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम |
बोलो सियावर रामचंद्र की जय, महावीर हनुमान की जय |
भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को होने जा रहा है | राम जी का अपने अयोध्या में अपनी जन्मभूमि में लौट आना इस अवसर को इस दृष्टिकोण से देखा जा रहा है | इसी कारण नए वर्ष की शुरुआत बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ होने जा रही है |
आज हम अयोध्या के राम मंदिर के बारे में कुछ रोमांच भरी बातें जानेंगे |
अयोध्या मुख्य मंदिर About Ayodhya Main Temple
अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर है | अयोध्या मंदिर का निर्माण का कार्य L&T कंपनी द्वारा किया गया है ।
अयोध्या राम मंदिर के मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा जी है |
राम मंदिर की आधारशिला 5 अगस्त, 2020 को रखी गई थी |
अयोध्या भूमि फैसले के बाद मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन दी गई है |
तमिलनाडु के लीगल राइट काउंसिल की तरफ से एक विशेष घंटा भेंट किया गया है | इस घंटे की खूबी यह है कि इससे ॐ की ध्वनि निकलेगी और वह ध्वनि10 किलोमीटर तक सुनाई देगी | कांस्य से बने इस 613 किलोग्राम वजन की इस घंटा को तमिलनाडु के रामेश्वरम क्षेत्र से अयोध्या में लाया गया | 17 सितंबर को रामरथ यात्रा की शुरुआत हुई इस यात्रा में यह घंटा 4500 किलोमीटर का सफर तय कर 7 अक्टूबर को 21 दिन में 10 राज्य से होकर अयोध्या नगरी पहुंची |
- कुल क्षेत्रफल – 2.7 एकड़
- कुल निर्मित क्षेत्र – 57,400 वर्ग. फुट
- मंदिर की कुल लंबाई – 360 फिट
- मंदिर की कुल चौड़ाई – 235 फिट
- शिखर सहित मंदिर की कुल ऊंचाई – 161 फिट
- मंजिलों की कुल संख्या – 3
- प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई – 20 फिट
- मंदिर के भूतल के स्तंभों की संख्या – 160
- मंदिर के प्रथम तल में स्तंभों की संख्या – 132
- मंदिर की दूसरी मंजिल में स्तंभों की संख्या – 74
- मंदिर में चबूतरे एवं मंडपों की संख्या – 5
- मंदिर में द्वारों की संख्या – 12
अयोध्या राम मंदिर को उद्घाटन की तैयारी / उत्साह Ayodhya Ram Mandir Inauguration
Ayodhya Ram Mandir
अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन होना यह भगवान राम जी का पुनःवापसी होने की तौर पर देखा जा रहा है साथ ही साथ सभी को अपने-अपने घर में पांच दीपक प्रज्वलित कर दीपावली मनाने को कहा जा रहा है |
वनवास से जब राम जी14 साल बाद अपनी नगरी अयोध्या लौटे थे तब भी दीपावली मनाई गई थी | जिसे आज भी हम आज भी अक्टूबर-नवंबर महीने में मनाते हैं | इस बात का उत्साह चारों तरफ दिखाई दे रहा है |
लोग पहले से ही तैयारी में जुड़ गए जिस तरह दिवाली की तैयारी में जुड़ जाते हैं| हर कोई प्रभु श्री राम के स्वागत हेतु अपना अपना योगदान देना चाहता है |
- बहुत ही सुंदरआमंत्रण पत्रिका छपाई गई है | जिसके ताले- चाबी के रूप में हनुमान जी की गधा का उपयोग किया गया है | कहते हैं ना
राम जी के बिना हनुमान नहीं और हनुमान जी के बिना राम जी नहीं | अयोध्या नगरी में प्रवेश हनुमान जी के अनुमति के सिवा संभव नहीं |
- 22 जनवरी को भगवान की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जो विशेष भोग लगाया जाएगा उसके लिए राम जी के ननिहाल छत्तीसगढ़ से 3000 हजार क्विंटल चावल अयोध्या में पहुंचाया जाएगा | इसे छत्तीसगढ़ के जिलों से ही इकट्ठा किया जाने वाला है |
- भगवान राम जी के ससुराल नेपाल के जनकपुर से वस्त्र, फल और मेवा 5 जनवरी तक अयोध्या पहुंचाया जाएगा | इसके अलावा भीउपहार से सजे 1100 थाल आएंगे |
- नेपाल से भी आभूषण, बर्तन, कपड़े, मिठाई, दही मक्खनऔर चांदी के बर्तन आएंगे |
- यूपी के एटा गांव से मंदिर में लगाई जाने वाली घंटा आएगी |
- गुजरात के वडोदरा से 108 फिट लंबी पंचगव्य और हवन सामग्रीऔर गाय के गोबर सेबनाई गई अगरबत्ती आएगी | जिसका वजन 3500 किलोग्राम है | इस अगरबत्ती को बनाने में 6 महीने का समय और 5 लाख की लागत लगी है |
- भगवान श्री राम की चरण पादुकाएं देश भर के रामेश्वरम से लेकर बद्रीनाथ तक के सभी प्रसिद्ध मंदिरों में ले जाकर विशेष पूजा कर , अयोध्या राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बाद वहीं पर रखी जाएगी | यह पादुका 19 जनवरी तक अयोध्या पहुंचेगी | Ayodhya Ram Mandir
अयोध्या मंदिर के बारे में कुछ रोमांचकारी इतिहास Miraculous History Of Ayodhya Ram Mandir
भगवान राम जी की नगरी अयोध्या हजारों महापुरुषों की कर्मभूमि रही है | इसी पवित्र भूमि पर भगवान राम जी का जन्म हुआ था | इस राम पवित्र भूमि पर एक भव्य मंदिर की स्थापना की थी, जिसे कालांतर में तोड़ दिया गया था |
मान्यता के अनुसार, एवं ग्रंथ के अनुसार भगवान राम जी का जन्म 5114 ईसवी पूर्व हुआ था | चैत्र मास की नवमी को रामनवमी के रूप में भगवान राम का जन्म उत्सव मनाया जाता है |
- महर्षि वाल्मीकि जी ने रामायण में राम जन्मभूमि की शोभा का वर्णन करते हुए, उसकी तुलना इंद्रलोक से करी हुई है | वाल्मीकि रामायण में अयोध्या नगरी धन- धान्य, रतन, शूरवीर एवं आसमान इमारत का वर्णन किया है |
- भगवान श्री राम के पूर्वज विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु ने अयोध्या नगरी बसाई थी | तभी से इस नगरी पर सूर्यवंशी राजाओं का राज महाभारत काल तक रहा | इसी जगह पर भगवान श्री राम का जन्म दशरथ महल में हुआ था |
अयोध्या नगरी मूल रूप से मंदिरों का शहर था | आज भीअयोध्या नगरी में हिंदू, बौद्ध एवं जैन धर्म से जुड़े मंदिरों के अवशेष देखे जा सकते हैं |
इतिहासकारों के अनुसार कौशल प्रदेश की प्राचीन राजधानी अवध को कालांतर में अयोध्या और बौद्ध काल में साकेत नाम से पहचाने जाने लगा | जैन मत के अनुसार यहां आदिनाथ सहित पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ था | बौद्ध मत के अनुसार यहां भगवान बुद्ध ने कुछ महीने विहार किया था | Ayodhya Ram Mandir
अयोध्या पुरातात्विक संबंध खोज Ayodhya Ram Mandir Archaeological Survey
बाबरी मस्जिद का निर्माण जिस जगह परथा उसे जगह परमंदिर होने के संकेत अगस्त 2003 में पुरातात्विक विभाग को कुछ सबूत मिले | जैसे की, भूमि के अंदर नीचे की तरफ दबे खंबे औरअन्य अवशेषों पर अंकित चिन्ह, इसके साथ ही मिली पॉटरी से मंदिर होने के सबूत मिले | छानबीन करते समय का हर क्षण का वीडियो ग्राफी भारतीय पुरातत्व विभाग के पास है | नीचे पाई गई दीवारें, फर्श और बराबर दूरी पर स्थित 50 जगह पर खाबो के आधार की दो कतरे पाई गई थी | एक शिव मंदिर भी दिखाई दिया था | यह सारे सबूत अब उच्च न्यायालय के रिकॉर्ड में दर्ज है | 30 सितंबर, 2010 कोइलाहाबाद न्यायालय ने लखनऊ खंडपीठ ने एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया | इस समय न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति सहयोग खान ने एकमत से माना कि जहां रामलला विराजमान है वही श्री राम की जन्म भूमि है | Ayodhya Ram Mandir
अयोध्या का वर्णन Description of Ayodhya In Ramayan
वाल्मीकि कृत रामायण राम के बालकांड में अयोध्या का वर्णन पाया जाता है | उसके अनुसार अयोध्या 12 योजन लंबीऔर तीन योजन चौड़ी थी | पहले अयोध्या कौशल जनपद की राजधानी थी | अयोध्या पुरी सरयू नदी के तट परस्थित नगरी भव्य – दिव्य एवं समृद्ध पूरी थी | इस नगरी में लंबी चौड़ी सड़के, एवं भव्य महल थे | इन महलों में नाना प्रकार के बगीचे पाए जाते थे | चौराहे पर बड़े-बड़े स्तंभ निर्मित थे | प्रजा में हर व्यक्ति का घर राजमहल जैसा ही था | यह महापुरी12 योजन (96 मिल) चौड़ी थी | इंद्र के स्वर्ग लोक जैसा ही महाराज दशरथ ने अपने राज्य को सजाया हुआ था | Ayodhya Ram Mandir
राम जी के न होने पर अयोध्या नगरी Ayodhya Without Shri Ram
इतनी सुंदर नगरी में आखिरकार परिवर्तन क्यों आया ? कैसे आया ?
यह सवाल मन में आ जाता है | भगवान श्री राम जी के जल समाधि लेने के बाद पूरी अयोध्या नगरी उजाड़ से गई | परंतु जन्मभूमि पर बना महल पूर्ववत रहा | भगवान श्री राम जी के पुत्र कुछ ने एक बार पुनः राजधानी अयोध्या का पुनर्निर्माण करवाया | इस निर्माण के बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ी ने यहां का कारोबार संभाला | महाराज कुश के 44 वंशज महाराजा बृहदबल सूर्यवंश के आखिरी राजा थे | कौशल राज बृहदबल की मृत्यु महाभारत युद्ध में हुई थी | महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या उजाड़ सी गई | Ayodhya Ram Mandir
100 साल बाद अयोध्या नगरी का पुनर्निर्माण
महाभारत युद्ध के 100 साल बादउज्जैन के चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य पृथ्वी भ्रमण करते हुए अयोध्या पहुंच गए | उन्होंनेइस राम जन्मभूमि पर कई चमत्कार महसूस किया | योगी और संतों की कृपा से उन्हें यह ज्ञात हुआ कि हो श्री राम की जन्मभूमि अवध है | संतो के मार्गदर्शन से महाराज विक्रमादित्य ने राम जन्म स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण किया | इसके अलावा कुप , सरोवर , महल आदि का निर्माण किया | राजा विक्रमादित्य ने श्री राम जन्मभूमि पर काले रंग के कसौटी पत्थर वाले 84 स्तंभों पर विशाल मंदिर का निर्माण करवाया था | यह मंदिर देखते हुए आंखें चंद जाती थी | Ayodhya Ram Mandir
अयोध्या मंदिर का जिर्णोद्धार Reconstruction Of Ayodhya Ram Mandir
राजा विक्रमादित्य के बाद के राजाओं ने समय-समय पर मंदिर की देखरेख कर ख्याल रखा | शुंग वंश के प्रथम शासक पुष्यमित्र ने भी मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था | पुष्यमित्र का एक शिलालेख अयोध्या से प्राप्त हुआ था जिसमें उसे सेनापति कहा गया है तथा उसके द्वारा दो अश्वमेध यज्ञ के किए जाने का वर्णन है| बहुत सारे अभिलेखों में यहपढ़ा जा सकता है कि गुप्त वंश के चंद्रगुप्त द्वितीय केसमय और उसके बाद भी अयोध्या गुप्त साम्राज्य की राजधानी थी | गुप्तकालीन महाकवि कालिदास जी ने अयोध्या का रघुवंश में कई बार उल्लेख किया गया है |
इसके बाद भी चीनी भिक्षु फाहियांन ने देखा कि कई बौद्ध मठ का रिकॉर्ड रखा गया है | अयोध्या में 7वीं शताब्दी में चीनी यात्री हेनत्सांग आया था | उसके अनुसारयहां 20 बौद्ध मंदिर थे, और इस जगह पर 3000 भिक्षु रहते थे | हिंदुओं का एक प्रमुख और भव्य मंदिर था जहां रोज हजारों की तादाद में लोग दर्शन करने के लिए आते थे | यह मंदिर राम मंदिर के नाम से जाना जाता था | Ayodhya Ram Mandir
अयोध्या मंदिर का पतन Fall of Ayodhya Ram Mandir
11वीं शताब्दी में कन्नौज नरेश जयचंदनामक राजा आया तो उसने मंदिर पर सम्राट विक्रमादित्य के प्रसिद्ध शिलालेख को उखाड़ कर अपना नाम लिखवा दिया | पानीपत के युद्ध में जयचंद का भी अंत हो गया | इसके बाद भारतवर्ष पर कई बार आक्रमण हुआ | आक्रमणकारों ने मथुरा, काशी , भारत के कई मंदिरों के साथ-साथअयोध्या में भी लूटपाट करी और वहां के पुजारी की हत्या कर मंदिर में स्थित मूर्तियों को तोड़ डाला | परंतु 14 वे शताब्दी तक वह अयोध्या का राम मंदिर ना तोड़ पाए | कहते हैं कि सिकंदर लोदी के शासनकाल के दौरान भी यह मंदिर मौजूद था |
अंततः 1527- 1528 में अयोध्या में स्थित भव्य मंदिर को तोड़ दिया गयाऔर उसकी जगह पर बाबरी मस्जिद का ढांचा खड़ा किया गया | मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के एक सेनापति ने बिहार अभियान के समय अयोध्या में श्री राम जी के जन्म स्थान पर स्थित प्राचीन व भव्य मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद बनवाई थी जो, 1992 तक विद्यमान रही | बाबरनामा के अनुसार , 1528 में अयोध्या पड़ाव के दौरान बाबर ने मस्जिद निर्माण का आदेश दिया था | Ayodhya Ram Mandir
निष्कर्ष
इतने उतार चढ़ाव के बाद भीआज रामलला के जन्मभूमि पर फिर से राम मंदिर स्थापित हो रहा है | राम जी अपने अयोध्या लौट कर आ रहे हैं | इस वजह से हम सभी में उत्साह का वातावरण है | और आज हम हमारे पुराण और ग्रंथो की वजह से हि इतिहास के बारे में जान सकते हैं | इसलिए कहते हैं भक्ति में ही शक्ति है | Ayodhya Ram Mandir
बोलो सियावर रामचंद्र की जय, महावीर हनुमान की जय |
Very Informative 👌🏻 Jai Shri Ram 🙏🏻🙏🏻