Varaha Avatar
Bhagwan Vishnu’s Varaha Avatar – A Divine Tale of Triumph3
विष्णु भगवान ने पृथ्वी को किस समुद्र से निकाला था? जबकि समुद्र पृथ्वी पर ही है ?
आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार,
आज कहीं जाकर मुझे इस सवाल का जवाब मिला है | मैं अक्सर यह सोचती थी हमारी पृथ्वी कौन से समुद्र से बाहर आई है? जबकि हमारे पृथ्वी पर ही 72% पानी है | और इतना बड़ा समंदर है |
श्री हरि विष्णु भगवान ने पृथ्वी को समंदर से निकालने और पुनः स्थापना के लिए सुकर का रूप धारण ही क्यों किया ?
भगवान विष्णु के 8 अवतार Bhagwan Vishnu 8 Avatar Incarnations
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- मीन (मत्स्य)
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- कच्छप
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- शुकर (वराह) Varaha Avatar
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- नरसिंह
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- वामन
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- परशुराम
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- श्रीराम
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- श्रीकृष्ण
भगवान श्री हरि विष्णु के तीसरे शुकर अवतार नेपाल के वराह क्षेत्र में विराजमान है |
वराह अवतार मंत्र Varaha Avatar Mantra
ॐ नमो श्रीवराहाय धरण्युध्दारणाय स्वाहा:
वराह अवतार पौराणिक कथा Varaha Avatar Pauranik Katha Story In Hindi
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, हिरण्याक्ष नामक दैत्य के अत्याचार से पृथ्वी पर त्राहिमाम मच गया था |
हिरण्याक्ष = हिरण्य मतलब स्वर्ण / सोना और अक्षय मतलब आंखें |
इसका अर्थ ऐसा है कि जिसकी आंखें हमेशा दूसरों के धन पर लगे रहती है, वह हिरण्याक्ष है | इस नाम का दैत्य भी ऐसे ही था | उसने पूरी धरती पर राज करने के लिए लोगों को मारना शुरू कर दिया | साधु संतों को परेशान करने लगा | ऐसे क्रूर दैत्य का संहार करने के लिए भगवान ने वराह रूप धारण किया |
हिरण्याक्ष ने संपूर्ण पृथ्वी को समंदर के जलाशय में छिपा दिया था | सभी देवी देवता भगवान विष्णु से हिरण्याक्ष के अत्याचारों से बचने के लिए प्रार्थना करने लगे |भगवान विष्णु ब्रह्माजी की नाक से वराह रूप में प्रकट हुए | सभी देवी देवताओं के आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी को ढूंढना प्रारंभ कर दिया | भगवान विष्णु ने वराह रूप धारण कर हिरण्याक्ष का संहार किया और पृथ्वी को बाहर निकाला | भगवान स्वयं समुद्र में जाकर अपने दांतो पर पृथ्वी को भगवान के रखकर को बाहर लेकर आए |
भगवान के इस रूप का नाम वराह होने के कारण उस स्थान का नाम वराह रखा गया | यह स्थान नेपाल में है | वराह क्षेत्र में बहने वाली कोसी नदी हिमालय से नीचे उतरती है | और भारत के वीरपुर पहुंचकर कोसी बैराज में सम्मिलित हो जाती है | कार्तिक पूर्णिमा के दिन जो भी कोसी नदी का जल भरकर भगवान वराह को अर्पित करता है, वह पुण्य का भागी बनता है |
भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को वराह जयंती मनाई जाती है |
इसी अवतार के माध्यम से परमात्मा ने मानव शरीर के साथ पृथ्वी पर पहला कदम रखा |
भगवान का मुख शुकर था, लेकिन शरीर इंसानी था |
निष्कर्ष Conclusion In Hindi Bhagwan Vishnu’s Varaha Avatar – A Divine Tale of Triumph3
परंतु, जिस वक्त नासा के एक खोज के अनुसार खगोल विज्ञान की 2 टीम ने ब्रह्मांड में जब छलांग लगाई थी | उस वक्त उन्होंने सबसे बड़े और सबसे दूर के जलाशय की खोज की | उस जलाशय का पानी, हमारे पृथ्वी के समुद्र के मुकाबले 140 खराब गुना ज्यादा पानी है | जो 12 बिलियन से अधिक प्रकाश वर्ष दूर है |
इसका मतलब हमारी पृथ्वी को इसी जलाशय में छुपाया गया था |
कितने अद्भुत है हमारे ग्रंथ, हमारा सनातन धर्म | Varaha Avatar
इसी जलाशय को हम ‘भवसागर’ के नाम से जानते हैं | क्योंकि हमारे हिंदू शास्त्र में भवसागर की बातें लिखी गई है | हमारे ग्रंथों में भवसागर का उल्लेख कई वर्षों पूर्व ही किया गया था | पर आज उसकी खोज होने के बाद हम उसे सच मान रहे हैं |
कितनी अचरज भरी बात है यह ? Varaha Avatar
हिंदू धर्म कितना प्राचीन है इसका अनुमान भी हम लगा नहीं सकते | जब इंग्लैंड में पहला स्कूल खुला था उस वक्त भारत में लाखों गुरुकुल थे | कई युगों पहले चार वेद और 18 पुराण लिखे जा चुके थे | भारत में राजप्रथा का चलन था, तब कई लोग कपड़े पहनना भी नहीं जानते थे | तुलसीदास जी ने जब सूर्य की दूरी के बारे में लिखा था तब दुनिया को दूरी के बारे में ज्ञान ही नहीं था | किसी को नापना ही नहीं आता था | खगोल शास्त्र के सबसे बड़े वैज्ञानिक आर्यभट्ट जो भारत के थे | आर्यभट्ट ने दुनिया को ब्रह्मांड क्या है ? पृथ्वी का आकार और व्यास कितना है? यह सब बतलाया है |
परंतु कुछ बेवकूफ लोग है, जिन्हें लगता है कि हमारा देश कि सभ्यता ग्रंथ आदि अनौपचारिक है |
हमारी पौराणिक कथाएं दंत कथाएं है| नासा ने कह दिया तो सच हो गया |
बरसों पहले जो हमारे यहां के लोगों ने अपने पुराणों में लिखा वह गलत?
सभ्यता, संस्कार, ज्ञान, विज्ञान, धर्म, सम्मान यह सभी भारत से ही शुरू हुआ है |
इसके कई सारे उदाहरण हमारे इतिहास में पढ़ने को मिल जाएंगे |
धन्यवाद
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