Shri Neelkanth Mahadev Mandir – Serenade of the Spirit
Shri Neelkanth Mahadev Mandir
आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार,
- आज हम भगवान शिव के विष प्राशन की कथा जानेंगे |
- नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेशके बारे में जानेंगे |
ऋषिकेश में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रतिष्ठ मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की नक्काशी देखते ही बनती है और इस मंदिर तक पहुंचने के लिए कई तरह के पहाड़ और नदियों से होकर गुजरना पड़ता है। साथ ही यह मंदिर प्रमुख पर्यटन स्थल में से एक है। पौड़ी गढ़वाल जिले के मणिकूट पर्वत पर स्थित मधुमती और पंकजा नदी के संगम पर स्थित इस मंदिर के दर्शन करने के लिए सावन मास में हर साल लाखों शिवभक्त कांवड़ में गंगाजल लेकर जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि सावन सोमवार के दिन नीलकंठ महादेव के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव ने किया विष का पान पौराणिक कथा Shri Neelkanth Mahadev Mandir Story Of Lord Shiv
इस मंदिर को लेकर पौराणिक कथा भी है। कथा के अनुसार, समुद्र मंथन से निकली चीजें देवताओं और असुरों में बंटती गईं लेकिन तभी हलाहल नाम का विष निकला। इसे न तो देवता चाहते थे और ना ही असुर। यह विष इतना खतरनाक था कि संपूर्ण सृष्टि का विनाश कर सकता था। इस विष की अग्नि से दसों दिशाएं जलने लगी थीं, जिससे संसार में हाहाकार मच गया। तभी भगवान शिव ने पूरे ब्रह्मांड को बचाने के लिए विष का पान किया। जब भगवान शिव विष का पान कर रहे थे, तब माता पार्वती उनके पीछे ही थीं और उन्होंने उनका गला पकड़ लिया, जिससे विष न तो गले से बाहर निकला और न ही शरीर के अंदर गया।
विष भगवान शिव के गले में ही अटक गया, जिसकी वजह से उनका गला नीला पड़ गया और फिर महादेव नीलकंठ कहलाएं। लेकिन विष की उष्णता (गर्मी) से बेचैन भगवान शिव शीतलता की खोज में हिमालय की तरफ बढ़ चले गए और वह मणिकूट पर्वत पर पंकजा और मधुमती नदी की शीतलता को देखते हुए नदियों के संगम पर एक वृक्ष के नीचे बैठ गए थे। जहां वह समाधि में पूरी तरह लीन हो गए और वर्षों तक समाधि में ही रहे, जिससे माता पार्वती परेशान हो गईं।
माता पार्वती भी पर्वत पर बैठकर भगवान शिव की समाधि का इंतजार करने लगीं। लेकिन कई वर्षों बाद भी भगवान शिव समाधि में लीन ही रहे। देवी-देवताओं की प्रार्थना करने के बाद भोलेनाथ ने आंख खोली और कैलाश पर जाने से पहले इस जगह को नीलकंठ महादेव का नाम दिया। इसी वजह से आज भी इस स्थान को नीलकंठ महादेव के नाम से जाना जाता है। जिस वृक्ष के नीचे भगवान शिव समाधि में लीन थे, आज उस जगह पर एक विशालकाय मंदिर है और हर साल लाखों की संख्या में शिव भक्त इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं।
॥ हर हर हर महादेव ॥
नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश पता Shri Neelkanth Mahadev Mandir Rishikesh Place
टैपकोटद्वार – पौरी रोड, कोटद्वारोवन, ऋषिकेश, उत्तराखंड, 249149, भारत
नीलकंठ महादेव मंदिर और ऋषिकेश के बीच की दूरी Shri Neelkanth Mahadev Mandir And Rishikesh distance
ऋषिकेश से 26 किमी और हरिद्वार से 50 किमी की दूरी पर, नीलकंठ महादेव मंदिर एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो 1330 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और उत्तराखंड के पौरी गढ़वाल जिले में स्थित है। यह ऋषिकेश में घूमने के लिए सबसे प्रतिष्ठित स्थानों में से एक है।
Days Timing
Monday 6 a.m. to 9 p.m.
Tuesday 6 a.m. to 9 p.m.
Wednesday 6 a.m. to 9 p.m.
Thursday 6 a.m. to 9 p.m.
Friday 6 a.m. to 9 p.m.
Saturday 6 a.m. to 9 p.m.
Sunday 6 a.m. to 9 p.m.
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