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Panchmukhi Hanuman & Dandiwale Temple

प्राचीन एवं त्रेतायुग कालीन मंदिर है | जहां हनुमान जी महाराज अपने पुत्र मकरध्वज जी के साथ स्वयंभू विराजमान है |

रामायण काल में अहिरावण और महिरावण नाम के दो मायावी राक्षस राम जी और लक्ष्मण जी को बंदी बनाकर बलि देने के लिए पता ले गए, तब हनुमान जी राम-लक्ष्मणजी की खोज करते हुए इस स्थल पर आए थे |  

दांडी वाले हनुमान जी मंदिर का इतिहास

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राम नाम का तैरता पत्थर

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अहिरावण की मृत्यु का यह रहस्य जानने के बाद हनुमान जी ने सर्वप्रथम बार यहां पर पाताल में पंचमुख स्वरूप धारण किया 

हनुमान जी का पंचमुख स्वरूप

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संकटमोचन हनुमान अष्टक की सातवीं कड़ी इस मंदिर का हिस्सा है

हनुमान जी की यह पूरी मूर्ति पाताल में चली जायेगी कलयुग समाप्त हो जाएगा | 

धीरे-धीरे मकरध्वज जी की मूर्ति पाताल से बाहर आ रही है

हनुमान जी के पुत्रमकरध्वज की कहानी

हनुमान जी के पुत्रमकरध्वज की कहानी

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